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रणजीत और उसके छः भाई दूर के पहाड़ों में रहते थे। आधुनिकता की रोशनी उन तक पहुँच न पाई थी। उनका रहन सहन पुराकाल के मानवों से कुछ अधिक सम्पन्न न थी। दिन में वे शिकार करते और रात को खाते पीते और आपस में झगड़ते थे। हर दिन सवेरे वे ऐसी एक औरत की सख़्त ज़रूरत महसूस करते थे जो कि उनकी शुश्रूषा करे, उनके लिये खाना बनाये और कपड़े धोये। लेकिन हर तरह के जानवरों से भरे उस जंगल में औरत का नामोनिशान न था। एक रोज़ भाइयों ने फैसला किया कि बड़े भाई रणजीत को पास के नगर में भेज दिया जाय और वहाँ से वह एक ताक़तवर जवान औरत को ले आय ताकि वह उनके घर को सम्हाले। उन्होंने यह भी फ़ैसला किया कि अगर ज़रूरत पड़े तो उसे शादी करके लाया जाय।
रणजीत को यह बात पसंद आई न आई, उसे नगर की तरफ़ रवाना होना पड़ा।
नगर में, वहाँ की रीति के अनुसार, स्वयंवर हो रहा था, जिसमें जवान लड़के और लड़कियाँ गाते, नाचते और अपने अपने जीवन साथी चुन लेते थे। रणजीत अपनी बन्दूक ले उस स्वयंवर में पहुँचा। नगर की सर्व श्रेष्ठ सुन्दरी शान्ति तथा और सुन्दरियों का नृत्य हो रहा था। रणजीत शान्ति को देखकर अपने आपको खो बैठा। जब जनता ने शान्ति के नृत्य के लिये, खुशी और तारीफ़ के नारे लगाये तो रणजीत ने भी अपनी बन्दूक से सलामी दी। सभ्य नागरिक लोग इस असभ्य की सलामी का अर्थ न समझकर घबराकर इधर उधर भागने लगे।
रणजीत ने, हैरान होकर, शान्ति की तलाश में सारा नगर छान मारा। वह शान्ति से यह कहना चाहता था कि उसको शान्ति से उतना ही प्यार है जितना कि शान्ति को उससे। यह जानकर कि उसके गीतों के सरल और साधारण श्ब्दों का वह जंगली ग़लत अर्थ लगा बैठा है, शान्ति की परेशाी का ठिकाना न रहा। अब रणजीत अपना दिल खो बैठा था और उसे किसी तरह का इनकार मंजूर न था। यहाँ तक कि उसने सारे नागरिकों को गोली से उड़ा देने की धमकी दी-अगर उन लोगों ने शान्ति से उसके विवाह का विरोध किया तो। शान्ति के हृदय में रणजीत के लिये स्थान बन गया था मगर उसने उसे ज़ाहिर तब किया जब कि रणजीत ने अपनी जान ख़तरे में डालकर एक डूबते हुए बच्चे की जान बचाई। शान्ति ने उस बर्बर को अपना पति बनाने का निश्चय कियां मगर बुज़ुर्ग शान्ति के इस फ़ैसले से सन्नाटे में आ गये। इससे शान्ति को पत्नी रूप में चाहनेवाले और युवकों में ंईष्र्या की आग भी भड़की।
नगर और जंगल के बीच एक बड़ी भारी स्पद्र्धा आ खड़ी हुई। रणजीत और उसके भाई नगरवालों के जानी दुश्मन बन गये। समस्या ने विराट रूप धारण किया। यह समस्या चरम सीमा तक किस रूप में जा पहुँची और शान्ति ने उसे किस प्रकार हल किया-’यही कितना बदल गया इंसान’ की कहानी है।
[From the official press booklet]