कुन्दनलाल (अजीत) शहर का एक सफेदपोश गुन्डा था जिसका काम छोटे बच्चों को खरीद कर उनसे चोरी करवाना और डाका डालना था- सन्तोषी माँ के मन्दिर के कीमती जेवरात की चोरी में एक ताला तोड़ने वाले बनारसी (सत्यन कप्पू) ने जब मंदिर का ताला तोड़ने से इन्कार कर दिया तो दोनों में झगड़ा हो गया और बनारसी ने कुन्दन को गिरफ्तार करवा दिया-कुन्दन को काला पानी की सजा हो जाती है। इतनी बड़ी बेइज्जती के वजह से कुन्दन की पत्नी शान्ती अपने एक साल के बच्चे के साथ ये शहर छोड़ना पड़ता है। बम्बई जाने वाली रेलगाड़ी दुर्घटना का शिकार हो जाती है. कुन्दन का बच्चा बनारसी को मिल जाता है और शांती को एक बची जो दुर्घटना में अनाथ हो चुकी है- मिल जाती है. जेल से छुटने के बाद कुन्दन बनारसी को झूठे इल्जाम में जेल भिजवा देता है और अपने ही लड़के को चोर बनने के लिये दरबदर भटकने को अकेला छोड़ देता है।. लेकिन ये ही बच्चा बड़ा होकर पोलिस आफिसर धर्मवीर (शशि कपूर) बन जाता है. उसे बम्बई के सबसे बड़े गिरोह को खत्म करने की ड्यूटी दी जाती है जो गिरोह कुन्दनलाल का है- कुन्दन का सबसे खतरनाक साथी शेरा (अमजद). शेरा शांती को पाली गीता (नीतू सिंह) को अपने कब्जे में करना चाहता है जब कि गीता धर्मवीर से प्यार करती है. इस गिरोह को पकड़वाने में अब्दुल्लभाई धर्मवीर की मदद करता है वही अब्दुल जिसे बदमाशों ने रेलवे लाइन पर फेंक कर उसको दोनों टांगों से अपाहिज कर दिया था।
धर्मवीर और गीता का प्यार, अब्दुल की कुरबानी और बाप बेटे के बीच जुर्म और फर्ज की कश्मकश में शेरा के सनसनीखेज करामतें यह सब इस कहानी की खुबियाँ हैं जो आपको रंगीन पर्दे पर नजर आयेगी।
[From the official press booklet]