ग़रीबी ने बीना को स्टेज पर काम करने के लिए मजबूर कर दिया। कवि गोपाल, जो उस थियेटर में डायरेक्टर था, बीना से प्यार करने लगा। बीना को इस बात का पता नहीं था। रायबहादुर गंगासरन के लड़के राजन ने बीना को एक बड़ी मुसीबत से बचाया। बीना और राजन में प्यार हो गया। जब रायबहादुर को यह मालूम हुआ कि राजन एक अॅक्ट्रेस से शादी करना चाहता है, तो उन्होंने इसका विरोध किया। लेकिन राजन के लिए बीना के प्यार से विमुख होना असम्भव था। आख़िर रायबहादुर इस शर्त पर राज़ी हो गये कि शादी के बाद बीना कभी कवि गोपाल से नहीं मिलेगी। बीना ने यह शर्त स्वीकार कर ली और दोनों की शादी हो गई।
एक रात जब राजन और बीना अपनी गाड़ी में घर लौट रहे थे, दुश्मनों ने उन्हें जुदा कर दिया। दो गुण्डे बीना का पीछा करने लगे। इसके अलावा शहर में दंगा फ़साद भी हुआ और क़रफ्यू करफ्यू लग गया। गुण्डों से बचने के लिए बीना एक घर में जा छुपी। वह गोपाल का घर था। क़रफ्यू की वजह से बीना को सारी रात गोपाल के घर में बितानी पड़ी।
दूसरे दिन सबेरे गोपाल को एक खून के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया। यदि वह अदालत में कह देता कि उस रात बीना उसके घर पर थी तो वह बच जाता। परंतु बीना की इज़्जन की खातिर उसने ऐसा नहीं किया। लेकिन बीना एक निर्दोष को फ़ांसी पर चढ़ते न देख सकी। उसने स्वयं अदालत में जाकर कह दिया कि वह उस क़रफ्यूयूवाली रात को गोपाल के साथ उसके घर पर थी। गोपाल रिहा हो गया लेकिन बीना को राजन ने घर से निकाल दिया।
बीना, जो अब गर्भवती थी, अपनी माँ के साथ शहर से निकल गई। माँ बेटी को शेरखां ने, जो रायबहादुर के दोस्त थे, अपनी शेरगढ़ी में आश्रय दिया। उन्हें मालूम न था कि वह दोनों कौन थीं।
बीना ने शेरगढ़ी में एक बच्चे को जन्म दिया।
पिता के दुख को देखते हुए राजन दूसरी शादी के लिए राज़ी हो गया। शेरगढ़ी में शेरखां राजन की शादी पर जाने के लिये निकल रहे थे कि उन्होंने अचानक बीना को देखा; उन्हें तब पता चला कि बीना कितनी पवित्र और कुलीन है।
बाद में क्या हुआ? क्या शादी रूक गई? क्या दो बिछड़े हुए प्रेमी फिर से मिल गये?
इन सवालों का जवाब इस महान प्रेम कथा के शानदार क्लाईमेक्स में देखिये।
(From the official press booklet)