तलाश है! तलाश है! तलाश है!
कानून और पुलिस को जिसकी तलाश है, नीता सक्सेना और भीमसिंह को जिसकी तलाश है- वह कौन है जिसकी हर किसी को तलाश है! उसका नाम है विक्रम! अपनी इस तलाश में नीता विक्रम तक पहुँच जाती है। वह उससे प्यार का नाटक करती है, उससे रिवाॅल्वर चलाना सीखती है और एक दिन उसे ही अपने गोली का निशना बनाना चाहती है लेकिन विक्रम अपने आपको बचा लेता है। नीता विक्रम पर आरोप लगाती है कि उसने सोने के लिए उसके पिता का खून किया है विक्रम समझता है कि ना ही उसने उसके पिता का ख़ून किया है और ना ही वह लूटेरा है हाँ उसने उस आदमी का नामोनिशान जरूर मिटा डाला, जिसने उसे जुर्म के दलदल में धकेल दिया। उस खूनी लुटेरे का नाम कहरसिंह था।
तब आख़िर पुलिस को किसकी तलाश है? क्या नीता अपने पिता की मौत का बदला ले सकी? क्या विक्रम अपने आपको निर्दोष साबित कर सका? क्या पुलिस उस आदमी को पकड़ सकी?
इन सवालों का जवाब है- "वान्टेड"! "वान्टेड"- जिसमें प्यार, मुहब्बत और नफ़रत के नये रंग भरे है, जिसमें दिल लुभाता रोमांस है, दिल दहलाता प्रतिशोध है, दिल को छूते जज़बात हैं और गुदगुदाता हास्य है "वान्टेड" भारत में वेस्टर्न काऊ-ब्वाॅय की पृष्ठभूमि पर बनने वाली अपने ढंग की पहली फ़िल्म है।
(From the official press booklet)