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शहर के हंगामों से दूर पहाड़ियों की गोद में एक छोटी सी बस्ती-बस्ती क्या है धरती पर स्वर्ग का एक छोटा सा रूप-यहां खेती बाड़ी नहीं होती, इसलिये बस्ती का आर्थिक जीवन केवल दो धन्धों पर निर्भर हैं - एक तांगेवाले जो यात्रियों को स्टेशन से मन्दिर तक ले जाते हैं और अपना और अपने बीवी बच्चों का पेट पालते हैं। बस्ती से दूर इस पुराने शंकर भगवान के मन्दिर में लोग दूर दूर से आते हैं और जो मांगते हैं वही पाते हैं - तांगे वालों के जीवन का एक मात्र सहारा - यह यात्री और उनकी मनोकामनाएं - तांगेवालों का प्रतीक है शंकर - वो देवता नहीं इन्सान है, इस धरती पर पैदा हुआ एक मानव जिसके हर सांस से धरती की खुशबू आती है कठिनाइयों के तूफ़ान के समान वह एक चट्टान है, धरा भले ही धस जाए लेकिन वह अटल है।
और दूसरा धंधा है जंगल में लकड़ी काटने और कारखाने में काम करने वालों का। लोग जंगल में लकड़ी काटते हैं और इन्हें कारख़ाने में लाकर रंग बिरंगी सूरतों में ढाला जाता है इन का प्रतीक किसना - एक उजड्ड गंवार जिसके भीतर और बाहर का एक ही रूप है - पत्थर के समान सख्त और मजबूत जिसके जीवन में मधुरता नहीं शून्यता है। वह बस्ती में अगर किसी को चाहता है तो वह है शंकर - किसना का केवल एक मात्र मित्र - शंकर और किसना - दो नाम और दो शरीर - परन्तु दिल और आत्मा एक है - एक ही मानव के दो रूप - दोनों पीठ से पीठ लगाकर डट जाएं तो शत्रू तो क्या सारी बस्ती को आगे लगालें। वे दोनों हैं बस्ती की हंसी खुशी के जीते जागते प्रतिबिम्ब - बस्ती उनको देखकर मुस्कराती है और वे बस्ती को देखकर झूम उठते हैं नाचते और गाते हैं।
शंकर की भोली भाली बहन मंजू जो किसना को मन ही मन में प्रेम करती है पर दिल की बात ज़बान तक नहीं आने दी उसने - भीतर ही भीतर गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही पर आंख नहीं गीली होने दी और इस बात का मूर्ख किसना को कभी भी पता न चल सका।
इस हंसती खेलती बस्ती में एक दिन - दो व्यक्ति प्रवेश हुए - एक था कारखाने के मालिक का बेटा कुन्दन - शहर के वातावरण में पला हुआ आधुनिक काल और मशीन युग का प्रत्यक्ष प्रमाण - अपने जंगल का विस्तार और लोगों के काम करने की रफ़तार देख कर कुन्दन ने बस्ती में मशीन लाने का विचार किया - बस्ती में मशीन आई और अपने साथ ही कारख़ाने में काम करनेवालों के लिए बरबादी लाई - बस्ती के आर्थिक जीवन पर यह पहला आघात था और यह आघात उनको बहुत महँगा पड़ा। लोगों को हाथ फैलाने बस्ती छोड़कर बाहर जाना पड़ा और साथ ही ले गए बस्ती की हंसी खुशी - कुन्दन लोगों की प्रार्थनाएं, चीख़ ओ पुकार सुनने के बजाए मशीन की दनदनाती हुई आवाज़ और चांदी के सिक्को की झंकार में मग्न था उसे बस्ती की भलाई या बुराई की कोई लेशमात्र भी चिन्ता नहीं थी।
और दूसरा व्यक्ति जो बस्ती में प्रवेश हुआ वह थी रजनी- यौवन, रूप, मासूमियत और मधुरता की जीती जागती मूरत - वह अपने नन्हें भाई चीकू और मां के सहित शहर छोड़कर बस्ती में बसने के लिए आई थी - रजनी की पहली भेंट शंकर से स्टेशन पर हुई- रजनी को देख कर कोई भी उसे प्यार करने लग जाता और शंकर तो फिर शंकर ही था - दोनों ही एक दूसरे के हो बैठे और शंकर ने अपने निराले ढंग से रजनी को अपना प्रेम जता दिया - उधर किसना ने जब रजनी को देखा तो वह उसके रूप, यौवन और लावण्यता पर मोहित हो गया - दोनों मित्र एक दूसरे से अनजाने में ही रजनी को प्रेम करते रहे परन्तु रजनी हृदय से शंकर की हो चुकी थी - जिस समय दोनों को एक दूसरे की भावनाओं का पता चला तो उनके भीतर का तूफान उमड़ पड़ा दोनों पहाड़ के समान एक दूसरे पर टूट पड़े - अपने प्यार के निर्णय के लिए - बस्ती की धड़कनों में लोच आ गया - जीवन भर की मित्रता पल भर में एक भीषण शत्रुता का रूप धारण कर गई।
अपनी शत्रुता के कारण किसना इतना नीच हो जाएगा इसका किसी को स्वप्न में भी ध्यान नहीं था - किसना ने शंकर को नष्ट करने के लिए कुन्दनबाबू को एक लारी डालने के लिए बोला और लारी के आते ही तांगेवालों में एक कोलाहल मच गया वह विव्ह्ल हो उठे - उनके लिए यह प्रहार असह्य था और वह चल पड़े कुन्दनबाबू की फैक्टरी को आग लगाने - लेकिन बस्ती के भाग्य में कुछ और ही लिखा था - बातों ही बातों में कुन्दन और शंकर की शर्त लग गई कि कुन्दन बाबू की लारी और शंकर के तांगे की दौर होगी और जो हारेगा वह बस्ती छोड़ जाएगा - यह एक ऐसी शर्त थी जो लोगों ने कभी न सुनी, न सोची होगी और इसको एक पागलपन समझकर बस्ती के सभी तांगेवाले शंकर के विरोधी हो गए और उसका साथ देने से इन्कार कर दिया और वह इस काम के लिए अकेला ही रह गया।
शंकर के साथ केवल उसके विश्वास और भगवान के सिवाए और कोई न था और वह चल पडा अपने ध्येय की पूर्ति के लिए - शंकर धरती की धड़कती छाती पर एक न मिटने वाला निशान पैदा करने के लिए उठा - ऐसा निशान जो आगामी संघर्षों के लिए अमर चिन्ह बन जाए - इस नव युग में एक नई राह बनाने और वह राह थी मानवता के विश्वास, दृढ़ता और उत्साह की राह जिस पर सभी लोग कदम मिला के चलें तो सारे देश का काल्याण हो जाएगा।
(From the official press booklet)