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Nannha Farishta (1969)

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वे तीनों हत्यारे हैं, लुटेरे हैं! वे बडी़ बेरहमी से लोगों को लूटते है, उनकी हत्याएँ करते है।

एक रात, जब उन लोगों ने एक घर लूटा घर के मालिक की हत्या की लौटते वक्त उन्होंने एक अनमोल मोती को देखा !

उन लुटेरों ने सपने में भी न सोचा था कि वह नन्ही मुन्नी उनकी ज़िन्दगी में बडी़ तब्दीली लायेगी !

गोविन्द, नज़ीर और जोसफ़ तीन अलग मजहबों को माननेवाले थे, फिर भी, उनकी अंधेरे भरी जिन्दगियों में रोशनी दिखाने वह नन्हा फ़रिश्ता बनकर आयी ! मुन्नी उनके प्यार में खो गयी ! लेकिन क़ौन है वह मुन्नी ?

जो अपनी माँ से दूर है ! बाप ने जिसकी परवाह न की। जिसे एक आया ने पाला-पोसा !

आया की नज़र में मुन्नी क्या है ?

आया मुन्नी के लिए आया ही नही, बल्कि माँ भी है।

मुन्नी आया की ज़िन्दगी है ! जान है।

इसीलिए तो जब वह लुटेरों कें हाथ में पड़ गयी तब अपनी जान देकर, आया ने मुन्नी को ले जाना चाहा !

इस कोशिश में मुन्नी की जान ख़तरे में पड़ गयी। वह परेशान हो उठी !

वे तीनों भी मुन्नी को बचाने के लिए अपनी जान ख़तरे में डाल डाँक्टर को बुला लाये !

डाँक्टर.................

डाँक्टर का ख्याल है-कोई भी इन्सान जन्म से बुरा नहीं होता !

मौक़ा मिलने पर वह देवता बन सकता है !

इस सच्चाई को वे साबित कर सकें !

कैसे...................?

(From the official press booklet)