मेरै नाम का मेरे चेहरे से कोई ताल्लुक नहीं। इसी वजह से मैं अपने आपसे नफ़रत करने लगा, लेकिन इसके बावजूद भी, मैं सुखी-दुखी हर आदमी को खूब हँसाया करता था, जो पैदाइशी मेरे खून में था।
शुक्रिया मेरे दोस्त अमर का, जो मेरी हीन भावना को मुझसे निकालने में कामयाब हुआ। मरे लिये संसार में मेरे दोस्त अमर और मेरी माँ के अलावा और कोई न था।
लेकिन एक दिन अचानक राधा मेरी ज़िन्दगी में आई, और मुझे संसार में कुछ करने का मौक़ा मिला। उसने मुझे प्रेरणा दी; मेरी ज़िन्दगी को अनेक रंगों से संवार दिया, और मैं महत्वाकांक्षी बन गया। एक मक़सद को पूरा करने की कोशिश करने लगा। वो मक़सद पूरा भी हुआ, लेकिन.......
मैं उन मासूम और बेसहारा बच्चों से मिला, जिनमें मुझे मेरी माँ का प्यार मिला। मैं उन अनाथ बच्चों का भी दिल बहलाता रहा। मैं जहाँ कहीं भी जिस हालत में भी रहा, हमेशा लोगों को ख़ूब हँसाता रहा।
(From the official press booklets)