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इतिहास गवाह है कि "हिन्दोस्तान" को सोने की चिड़िया कहा गया है, और दुश्मनों ने हमेशा इस के पर काटने की कोशिश की, लेकिन इस देश के वफादार भक्तों ने अपने खून की होलियाँ खेल कर भी हमेशा इस की रक्षा की। हमारी कहानी भी एक ऐसे गाँव से शुरू होती है, जो "सरहद" से कुछ दूरी पर है! और अक्सर घुसपेठिऐ हमारे देश की शान्ती को भँग करने की तोड़ में रहते हैं, इसी गाँव के स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चे शंकर और शेरा बचपने में कसम खाते हैं, की शंकर बड़ा हो कर किसान बनेगा, और देश से भूक को मिटाऐगा, और शेरा बड़ा हो कर देश का सिपाही बनेगा और दुश्मनों से इस की रक्षा करेगा। इनके मन में देश के प्रति यह भावना उमर के साथ-साथ जवान होती रही, और शंकर ऐक कुशल किसान बन गया, लेकिन शेरा वक्त और हालात का शिकार होकर सिपाही के बजाऐ डाकू बन बया, दोनों दोस्तों के बीच बचपन की "कसम", एक दीवार बन गई। डाकू शेरा अन्दर ही अन्दर खून के आँसू पी रहा था। लेकिन क्या वह अपनी बचपन की "कसम" पूरी कर सका, क्या वो दोस्ती के बीच में खड़ी दीवार को तोड़ सका, क्या वो देशद्रोही से देश भक्त बन सका, यह सब जानने के लिऐ, "कुवँवर फिल्मस" की शानदार पेशकश "कसम" देखिये।
[From the offcial press booklet]