दुनिया की तारीख का एक एक वर्क़ इस बात का गवाह है के आदमी हर दौर और हर ज़माने में सुकुन और चैन की तलाश में सरगिरदां रहा-मगर उसकी यह आरज़ु कभी पूरी न हुई-अब दुनिया से मायुस होकर इसी आरज़ु की ख़ातिर उसने चांद और तारों की तरफ़ रुख किया है।
डॉक्टर ज़ेड के भी तमाम किरदार सुकुन और चैन की तलाश में बेचैन नज़र आते हैं- डॉक्टर ज़ेड एक ज़बरदस्त सायन्सदां हैं- वह एटम बम, हायड्रोजन बम और रॉकेटों की बेपनाह क़ुव्वतों के बाद भी इन्सान को बेइन्तेहा कमज़ोर समझते हैं और उनका सर बादे एहतराम उस ताक़त के हुजुर में झुका हुआ है जिसके इशारे पर तमाम जहां क़ायम है।
सेठ गोपालदास को यक़ीन है के दौलत ही दुनिया में सबकुछ है-इसी ख़याल के तहत वह डॉक्टर ज़ेड से सौदा करता है लेकिन डॉक्टर सायन्स को तेजारत नहीं बलके इन्सान की ख़िदमत का ज़रिया समझते हुवे गोपालदास की बड़ी से बड़ी पेशकशको ठुकरा देते हैं- डॉक्टर की ठोकर गोपाल की ज़िंदगी में पेहला वाक़ेआ था- और इस ठोकर के लगते ही गोपाल डॉक्टर को पूर असरार तरीके से ग़ायब करके अपने तेहखाने में बंद कर देता है- और डॉक्टर को मजबूर करता है के अब वह एक ऐसा इंजेक्शन बनाय जिसके अेस्तेमाल के बाद आदमी उसके हुकुम पर अपनी जान की भी परवाह न करे।
राजन ज़िंदगी की तलाश में मुख़तलीफ़ रास्तों पर जाता है- शोभा ख़ानदान की इज़्ज़त पर अपनी मुहब्बत क़ुरबान करके दिल में कभी न ख़त्म होनेवाले तूफ़ान को छुपाकर होंटों पर सबरो सुकुन की मोहर लगा लेती है-चित्रा रंगिन्यों में डूबकर भी वह रंग न पा सकी जिसकी उसे तलाश थी-जग्गु एक फुलझड़ी की तरह जब भी जलता है मुरझाये हुवे उठते हैं।
डॉक्टर ज़ेड के तमाम किरदार सुकुन और चैन हासिल करने के लिये ज़िंदगी के मुख़तलीफ़ रास्तों पर चलते हैं-उनमें से कौन आप का हमख़याल है-और किसका रास्ता सही है-इसका फ़ैसला आप और सिर्फ़ आप कर सकते हैं फ़िल्म “डॉक्टर ज़ेड” देखकर।
और हां एक ख़ास बात तो रह गई- डॉक्टर ज़ेड ने जब गोपाल के तेहखाने से निकलने की ख़ातिर एक इन्जेक्शन बनाया तो ऐन मौक़े पर गोपाल ने वह इन्जेक्शन ख़ूद ले लिया क्युं के पुलिस ने उसे घेर लिया था-इन्जेक्शन के असर से गोपाल का क़द पहाड़ जैसा हो गया-उसमें बेइन्तेहा ताक़त आ गई-उसने मोटरें उठा उठा कर फेंक दीं और..... और....... बाक़ी आप “डॉक्टर ज़ेड” में देखिये।