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Do Dulhe (1955)

  • Release Date1955
  • GenreDrama
  • FormatB-w
  • LanguageHindi
  • Run Time148 mins
  • Length4279.39 metres
  • Number of Reels16
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number12935
  • Certificate Date28/03/1955
  • Shooting LocationGemini Studios
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मद्रास शहर से पचास साठ मील पर एक गाँव था. वहाँ बृजमोहन गुप्ता अपनी नई पत्नी के साथ रहते थे. उनकी दो बेटियां थीं. एक पहली पत्नी से जिस का नाम था पार्वती यानी पारो. दूसरी नई सेठानी जिसका नाम था दुलारी. उन का साला बांके लाल भी वहीं रहता था. एक दिन मद्रास से एक दौलतमन्द का लड़का कुन्दन दुलारी को देखने के लिए आया. मगर उसने दुलारी से पहले उसकी सौतेली बहन पारो को पनघट पर देखा और "प्रथमग्रासे मक्षिकापातः" प्रेम हो गया।

देवीदयाल गुप्ता नाम का एक सेठ सूद पर सूद लेकर अपनी दौलत बढ़ा रहा था. उसने पारो के पिता को पन्द्रह हज़ार रुपये क़र्ज़ दे रक्खे थे. उनके बदले में वह पारो से शादी करना चाहता था. कुन्दन ने पारो से सारे हाल पूछे. और पन्द्रह हज़ार रुपये लाने मद्रास आया. मगर देवीदयाल ने जल्दी मचाई और कहा कि "इसी वक्त पारो से मेरी शादी कर दो." उसी वक्त गहने कपड़ों को ठोकर मारकर पारो देवीदयाल से बचने के लिए घर से निकल भागी. अब ब्याह किस से किया जाये? देवीदयाल बाहर दूल्हा बना बैठा है. दुल्हन भाग गई. अब? एक गूंगी बुढ़िया के साथ देवीलाल को ब्याह कर दिया गया. घूंघट की आड़थी.

देवीदलाल उस गूंगी बुढ़िया को पारो समझे बैठा था. शादी की पहली रात. पूर्ण चन्द्र की चान्दनी में बूढ़े ने देखा कि नौजवान पारो के बदले यह तो गूंगी बुढ़िया है. वह गुस्से से भड़क उठा मगर करे क्या? कुन्दन भी रुपये लेकर आया तो सुना कि पारो की शादी तो देवीदलाल से हो गई. दुखी होकर वह मद्रास के लिए ट्रेन में बैठा. दूसरे डिब्बे में पारो बैठी हुई थी. दोनों साथ थे मगर एक दूसरे से अनजान. मद्रास की स्टेशन पर दोनो उतरे. भीड़ में पारो ने उसे देखा और पुकारा कुन्दन! कुन्दन एक मोटर की टक्कर में आ गया! अस्पताल में जब कुन्दन को होश आया तो उसे बुराभला कहने लगा कि तूने मेरे साथ विश्वास घात किया है चली जा यहाँ से. और खुद निकल गया. पारो रुपये लेकर कुन्दन के घर गई. (वे रुपये जो कुन्दन पारो के लिये लाया था और अस्पताल में ही भूल गया था) कुन्दन के माता पिता ने पारो को दिलासा दिया और उसे अपने ही पास रहने दिया - इस उम्मीद से कि कभी न कभी तो कुन्दन घर आयेगा।

इसी बीच बाँके लाल पावती को ढूँढता हुआ कुन्दन से मिला और कुन्दन से कहा कि देवीदलाल के साथ तो एक गूंगी की शादी हुई है. उसे फोटो भी बताया। कुन्दन को बहुत पछतावा हुआ और वे दोनों अस्पताल भागे - मगर पारो चली गई थी. वो पारो को ढूंढने लगे. पागल कन्हैया जो कुन्दन की ही शक्ल का था पागल खाने से भाग निकला था. उसकी जगह उन्होंने उसी के हम शक्ल कुन्दन को गाड़ी में ढकेला था और पागलखाने ले गये. बांके कन्हैया से बाग़ीचे में मिला और उसे कुन्दन समझ कर घर ले गया - सेठानी भी कन्हैया की नहीं पहचानती थी। दुलारी और कन्हैया को प्रेम हो गया। सेठानी ने खुश होकर कुन्दन के माता पिता को पत्र लिखा कि कुन्दन ने मेरी बेटी दुलारी से शादी करना मंज़ूर कर लिया है।

पार्वती ने पत्र पढ़ा और किसी से बिना कुछ कहे कुन्दन से मिलने गाँव चली गई। गाँव में वो पागल कन्हैया को कुन्दन समझ कर मिली। पार्वती कन्हैया के सामने गिड़गिड़ा रही थी. उसी समय देवीदयाल आया और पार्वती को अपनी ब्याहता बीवी समझने के नाते कन्हैया को लाठी से मारा। कन्हैया का पागलपन दूर हो गया और देवीदयाल पार्वती को घसीट कर अपने घर ले गया। इधर सेठानी को मालूम हुआ कि कुन्दन की जगह कोई पागल कन्हैया उसकी बेटी से प्रेम कर रहा था तो आग आग हो गई। उसने सामने ही खड़े हुए अपने भाई बांके को इसका ज़िम्मेवार समझा और उसे मारने दौड़ी मगर फ़ानूस से उसीकी आंखें फूट गई।

उधर कुन्दन (जिसे पागलखानेवाले पागल कन्हैया समझ कर पकड़ ले गये थे) का छुटकारा हुआ। घर आने पर मालूम हुआ कि जिस पार्वती के लिये वह आया, वह तो चिट्ठी लिख कर फिर चली गई है। वह भागा. गाँव आया. देवीदयाल ने पारो से कहा कि वह उसकी ब्याहता बीवी है। पारो ने कहा "नहीं" उस पर उसने उसे एक कमरे में बन्द कर दिया। पारो ने आत्महत्या करनी चाही पर ऐन वक़्त पर पुरोहित ने आकर उसे बचा लिया। यह देख कर देवीदयाल ने एक लोहे के टुकड़े से पुरोहित का सर फोड़ दिया। पुरोहित मर गया। देवीदयाल के हाथ से छूटकर पारो एक घोड़ा गाड़ी में भागी. उसने पीछा किया. इधर कुन्दन और बाँके ने भी उनका पीछा किया. बड़ी मुसीबत के बाद पारो के साथ गाड़ी में लड़ते देवीदयाल को कुन्दन ने नीचे गिरा कर पारो की रक्षा की. देवीदयाल को क़ैद हुई. कुन्दन परो का दूल्हा बना. कन्हैया दुलारी का - इस तरह एक घर में दो शादियां एक साथ हुईं।

दो शहनाइयाँ - दो दुल्हनें और - दो दूल्हे

(From the official press booklet)