चम्बल नदी के जंगलों के बीच में रामगढ़ गाँव है - जिसे गब्बर डाकू ने उजाड़ दिया है। स्वर्गीय ठाकुर साहब की नातिन - धन्नो - शहर से आकर रामगढ़ में ढाबा खोलती है। उद्घाटन का खाना खाकर उद्घाटन करने वाला व्यक्ति मर जाता है... इसलिए ढाबा बदनाम हो जाता है कि जो धन्नो के ढाबे में खाना खायेगा वो मर जायेगा।
बस फिर क्या! ढाबे में ऐसे मूर्ख लोगों की लाइन लग जाती है - जो अपने प्रियजनों को स्वर्ग भेजना चाहते हैं - धन्नो एक थाली का बुकिंग रेट 5000/- करके माल कमाने लगती है।
गब्बर के हाथों रामगढ़ के एक सीधे सादे मोहन की मौत हो जाती है, जिसके कारण गब्बर अपने आपको कानून के हवाले कर देता है - कानून उसे 20 साल तक मोहन की विधवा प्रिया एवं उसकी दो बहनों रीना एवं पिंकी का भरण-पोषण करने की सज़ा देता है।
गब्बर रामगढ़ में आकर रहता है धन्नो के ढाबे का खाना खाता है तथा धन्नो को छोटे-मोटे डाकुओं एवं हफ्ता लेनेवाले गुंडों से बचाता है। गाँव की लड़कियों की इज्जत भी गुंडों से बचाता है। धन्नो गब्बर को अच्छा आदमी बनाना चाहती है इसी कारण वो गब्बर से मेल-जोल बढ़ाती है जो आगे चलकर प्यार में बदल जाता है।
गब्बर, धन्नो की मदत से मोहन की छोटी बहन रीना की शादी करा देता है, पिंकी के पति को समझाकर घर ले आता है, रीना एवं पिंकी अपने-अपने पतियों के साथ खुशी-खुशी प्रिया के साथ रहने लगती है। गब्बर गाँव के लोगों की मदत करता है, गाँव के लोग उसे पसंद करने लगते हैं, तभी कोर्ट आदेश आता है कि गब्बर की सज़ा माफ हो गई है...
गब्बर गाँव से जाने लगता है तो गाँव के लोग गब्बर को गाँव में ही रहने को कहते हैं, गब्बर किसी की बात नहीं मानता, गब्बर जब गाँव से जाने लगता है तभी प्रिया आकर सबके सामने गब्बर को माफी देकर गाँव में रहने को कहती है, गब्बर गाँव में रहने को राज़ी होता है तभी धन्नो आकर गब्बर गाँव में रहने के लिए एक शर्त रखती है।
धन्नो ने गब्बर को गाँव में रहने के लिए कौन सी शर्त रखी?
शर्त जानने के लिए देखिए एच.एस. फिल्म्स की नई हिन्दी फिचर फिल्म- "धन्नो ढाबेवाली"।
इस फिल्म में कोमेडी है, एक्शन है, इमोश्नल ड्रामा है और गलेमरस आईटम गीत है।
(From the official press booklet)