नाम से ही साफ है कि यह दो भाइयों की एक खूबसूरत कहानी है। राजा और अशोक दोनों की रगो में ही खून था। मगर किस्मत ने बचपन में ही उन्हें एक दूसरे से अलग कर दिया।
जवान होकर एक बार फिर भाई भाई मिले बड़े भाई अशोक ने अपने छोटे भाई राजा को पहिचानकर भी पहिचानने से इन्कार कर दिया, क्योंकि धन दौलत और शानो शौकत ने उसे अन्धा बना दिया था। स्वार्थ और लोभ का वह शिकर बना हुआ था। राजा अपने भाईकी निय्यत तोड़ गया। उसने भी अपनी पहिचान नहीं दी।
अशोक एक निर्लज खूबसूरत नागिन के जाल में फँसा हुआ था। इसीलिए वह अपने मासूम बच्चे और नेक पत्नी को भूल चुका था।
राजा ने एक बेबस, बेधन, बेसहारा औरत को अपने घर में जगह दी। वह औरत नहीं जानती थी कि मददगार उसका देवर है। राजा ने उस औरत को वचन दिया कि वह उसे उसका सुहाग लौटाकर ही रहेगा।
क्या राजा अपने दिए हुए वचन को निभा सका?
क्या भाई आपस में मिल सके?
उस खूबसूरत नागिनका क्या हुआ?
यह सभी जानने के लिए आप इस चित्र को सुनहरी परदे पर अवश्य देखिए।
[from the official press booklet]