रागिनी ने अभिनेत्री का पेशा अख्तियार किया था। यह एक महान् पेशा है, किन्तु इसके कारण अनेक सामाजिक सुविधाओं और अधिकारों से हाथ धौना पड़ता है। यही कारण था कि वह अपनी बहिन कामिनी को इस पेशे से दूर रखकर उच्च शिक्षा देना चाहती थी और किसी कुळीन परिवार में असका विवाह करना चाहती थी।
बड़ी अनिच्छा से उसने कामिनी का रेडियो पर गाना स्वीकार किया। वहां उसे अपने मधुर स्वर के लिए ख्याति मिळी और वह लोकप्रिय बन गयी फिर एक अद्भुत घटना घटी। एक 'डुएट' की व्यवस्था की गयी। रागिनी ने बम्बई रेडियो स्टेशन से गाना गाया और प्रसिद्ध कळाकार निर्मळ कुमार ने दिल्ली से। फलस्वरूप दोनों एक दूसरे के स्वर पर मोहित हो गये।
इससे कामिनी का साहस बढ़ा। वह अपनी बहिन की आज्ञा की उपेक्षा कर 'थियेटर' में भर्ती हो गयी और अभिनय करने ळगी। रागिनी बहुत अप्रसन्न हुई। उसकी इस उदण्डता से बचने के ळिए उसने उसे छात्राओं के होस्टळ में रखने का निर्णय किया। एक बार कामिनी अपने काळेज की संगिनियों के साथ 'टूर' पर जाना चाहती थी! रागिनी ने भी स्वीकार कर ळिया। इसी समय निर्मळ ने काम खोजने तथा कामिनी से मिळने के ळिए बम्बई जाने का निश्चय किया। संयोगवश दोनों ट्रेन में मिळे, किन्तु एक दूसरे को पहिचान न सके। छात्राओं ने निर्मळ का खूब मजाक उड़ाया।
बम्बई आने पर निर्मळ कामिनी से मिळने गया। रागिनी ने उसका स्वागत किया, अपने ही थिएटर में उसे स्थान दे दिया। बाद में जब वह कामिनी से मिळने 'होस्टळ' में गया तो उसे माळूम हुआ कि यह वही ळडकी है जिसने ट्रेन में उसका मजाक उड़ाया था। कामिनी भी यह नहीं जान सकी यह वही रेडियो कळाकार है जिसके स्वर पर वह मोहित है। एक बार 'कफ्र्यू' आर्डर से बचने के ळिए कामिनी को निर्मळ के कमरे में आश्रय ळेना पड़ा। उसी दिन निर्मळ ने रेडियो से सुना कि कामिनी रेडियो स्टेशन पर नहीं पहुंच सकी। इसळिए कार्यक्रम रद्द हो गया। इतने ही में उसने अपने रेडियो के पीछे कामिनी को गाते हुए सुना। इस तरह दोनों आपस में मिळकर बहुत खुश हुए।
अब निर्मळ कामिनी से विवाह करना चाहता था। उसने रागिनी से कहा। रागिनी स्वयं उस पर आसक्त थी। उसने समझा वह उसी से शादी करना चाहता है। न तो निर्मळ में यह भ्रम दूर करने का साहस था और न कामिनी में। अन्त में रागिनी के एक मित्र कमळराज ने इस भ्रम को दूर किया। उसने कामिनी को सारी कहानी सुनायी। कामिनी अपनी बहिन के रास्ते में रोडा बनना नहीं चाहती थी। वह डूब मरने के लिए समुद्र में कूद पड़ी। निर्मळ मर्माहत हुआ। एक दुर्घटना में उसकी आंख की ज्योति जाती रही। रोगशैय्या पर वह कामिनी की चिन्ता में डूबा रहा। उसकी आंख अच्छी ही होने वाळी थी कि डाक्टरों ने आशांका प्रकट की कि यदि आंख खोळते ही उसने कामिनी को नहीं देखा तो उसकी नेत्र-ज्योति सर्वदा के ळिए जाती रहेगी।
क्या कामिनी फिर निर्मळ से मिळी?
क्या उसकी आंखें फिर ठीक हुई?
दोनों बहिनों में से कौन निर्मळ को अपनाने में सुफळ होती है?
आश्चर्यजनक और आनन्ददायक घटनाओं के साथ सिनेचित्र इन प्रश्नों का उत्तर दें।
(From the official press booklet)