"जुल्म की हुकूमत" कहानी है प्यार और नफरत की, खुन और आँसुओं की, उम्मीद और ना उम्मीदी की।
प्रताप कोली, अपने तीनों भाईयों में सबसे छोटा है तीनों भाई कोली समाज के कर्णधार है, प्रताप अपने सबसे बड़े भाई पिताम्बर कोली की पूजा करता है और अपने से बड़े की भी इज्जत करता है, और जब उसे पता चलता है कि जिन भाईयों की वह पूजा करता है, वे काली दुनिया के बेताज बादशाह हैं तो उसके पास घर, छोड़के जाने के सिवाय कोई चारा नहीं रहता।
प्रताप पहाड़ों की बर्फीली वादियों में अपने लिए सुकून ढूढने निकल पड़ता है।
कुछ सालों बाद प्रताप अपनी बहन कुसुम की शादी में शामिल होने के लिए लौटता है, उसकी दोनों भाभियाँ- लक्ष्मी और मेनका उसे और उसकी मेहबूबा किरण को देखकर बहुत खुश होती हैं।
लेकिन ये खुशी चन्द दिनों की ही होती है, बड़े भाई पिताम्बर कोली का बड़ी नृशंसता के साथ स्वामी नामक एक ढोंगी साधु खून करवा देता है। थोड़े दिनों बाद ही मझले भाई यशबन्त और भाभी लक्ष्मी पर भी जान लेवा हमला होता है।
अब प्रताप के पास कोली समाज की बागडोर संभालने के सिवाय कोई चारा नहीं है। वो पशोपेश में पड़ जाता है कि अपनी दुनिया में वापस चला जाये या अपने भाईयों जैसी जिन्दगी जिये।
प्रताप कोली का फैसला क्या था? क्या उसने अपने भाईयों की मौत का बदला लिया?
(From the official press booklet)