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Yahudi (1958)

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                                                                                     "अजब तेरी कुदरत अजब तेरे खेल!
                                                                                      किस्मत भी क्या-क्या रंग दिखाती है!"

झोपड़े की एक नन्ही चिनगारी ने शाहीमहल में आग लगा दी! रोम का शहजादा मार्कस, एक अदना यहूदन, हन्ना के इश्क में गिरफ्तार हो गया! दुनिया के कानून मुहब्बत के मारों को मिलने नहीं देते। इस बार अमीरी और गरीबी के सिर नहीं टकराए-टक्कर हो गई मुहब्बत और मजहब में इश्क और ईमान में!

इजरा यहूदी, अपनी लड़की हन्ना को गैर मजहबी के हाथ उस दम तक देने को तैयार न था जब तक मार्कस, यहूदी मजहब कुबूल न कर ले! मार्कस हन्ना का दीवाना था; मगर मुहब्बत का सौदा मजहब से? मार्कस मैदान से हट गया। मासूम हन्ना पर बिजली टूट पड़ी - अभी आसमान फटना बाकी था!

मार्कस की शादी शहजादी ओंक्टीविया से तय पायी। रैयत ने उनकी सलामती की दुआ माँगने को हाथ उठाए, मगर, हन्ना ने शादी के ऐन मौके पर सामने आकर बादशाह से इंसाफ के लिए पुकार की। रोमन कानून की नजर में मार्कस ने जो गुनाह किया था - औरत से मुहब्बत कर उससे रुसवाई करने का उसकी सजा मौत थी! हन्ना को जब शहजादी

से इसका पता चला तब उस गरीब ने अपने बयानात वापिस ले लिये।

इंसाफ के तख्त पर बैठे जालिम ब्रूटस ने इजरा और हन्ना पर अब ये इल्जाम लगाया कि उन दोनों ने शाही खानदान की इज्जत पर दाग लगाने की झुठी और बेहूदा कोशिश की थी और इसलिये हुक्म दिया कि यहूदी और उसकी लड़की को इस संगीत जुर्म के लिये खौलते तेल के कड़ाह में डाल दिया जाय। शहजादा मार्कस ने बगावत करने की धमकी दी, उसे गिरफ्तार कर लिया गया। ब्रूटस के मुताबिक यहूदी और लड़की के बचने की फक्त एक ही सूरत थी - वे दोनो अगर रोमन मजहब को कबूल कर लें। चंद रोजा जिंदगी के लिये मजहब का सौदा? इजरा और हन्ना ने इस तिजारत को ठुकरा दिया!

यह भी किस्मत की एक चाल थी कि हन्ना उसी ब्रूटस की लड़की थी - जो - जो उसे खौलते तेल के कड़ाह में पटकने पर आमादा था यह क्या राज था - और इसके बाद मासूम हन्ना, मजबूर मार्कस और बदनसीब इजरा यहूदी पर कैसी मुसीबते आयी, और उन्होंने कैसी-कैसी कुर्बानियां दी, इसका हाल तो पर्दे के सोने पर लिखा है।

(From the official press booklet)

Awards

Filmfare Awards, 1958