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Continueस्वीटी (रंजीता) और राजू (मिथुन चक्रवर्ती) बचपन में गहरे दोस्त थे। सोनू (विनोद मेहरा) उनका पडौसी भी स्वीटी को चाहता था लेकिन वह उसे पसंद नहीं करती थी। किस्मत ने उन्हें जुदा कर दिया। राजू और सोनू बडे हो कर चोर (उस्ताद) बने और बगैर एक दूसरे की असलियत जाने आपस में उस्तादी करने लगे।
उन तीनों को अपने बचपन के साथी की तलाश और तड़प थी। किस्मत ने फिर पलटा खाया और तीनेां को मिलाया लेकिन कोई एक दूसरे को पहिचान न सका। एक दिन इतफाक से सोनू को मालूम पड़ गया कि स्वीटी उसके बचपन की साथी है और उससे बदला लेने के लिए एसने अपने आपको स्वीटी के सामने ऐसे पेश किया कि वह उसे अपने बचपन का खोया हुआ साथी राजू मानने लगी।
राजू और सोनू जो एक दूसरे से उस्तादी करते थे एक तीसरा उस्ताद (विलैन भरत कपूर) के चक्कर में फंस गये और उन पर पुलिस ने एक बैंक की बड़ी डकैती और खून का इलजाम लगा दिया। राजू और सोनू पुलिस से भाग निकले और असली कातिल डाकू (विलैन) की तलाश में निकले। एक दिन रजू को भी मालूम पड़ गया कि स्वीटी ही उसके बचपन की साथी है और उसका दोस्त सोनू उससे छल कपट कर रहा है और उसके बचपन की महबूबा का प्यार हासिल किया है। लेकिन अब उन दोनों का प्यार देख कर वह चुप रह गया। उसने एक मौके पर सोनू की जान भी विलैन से बचाई। कुछ वक्त के बाद सोनू को भी मालूम पड़ गया कि उसका दोस्त राजू ही स्वीटी के बचपन का खोया हुआ साथी है। उसे अपने आपसे बहुत घृणा हुई और उसने ऐसा खेल खेला कि राजू और स्वीटी दो बचपन की साथी मिल गये और इससे नफ़रत करने लगे। सोनू विलैन के चंगुल में फंस गया और उसे मारा जा रहा था कि राजू को सोनू की कुर्बानी की असलियत मालूम पड़ी और वह उसे बचाने निकला। लेकिन सोनू ने फिर "उस्तादी उस्ताद से" कर ली और राजू को बचाने में अपनी जान दे दी।
राजू और सोनू कैसे एक दूसरे से उस्तादी करते थे? कैसे सोनू ने स्वीटी के सामने अपने आप को पेश किया कि वह उसे राजू मानने लगी और फिर उससे नफरत करने लगी? कैसे दो उस्ताद एक तीसरे उस्ताद की वजह से बैंक डकैती और खून में फंस गये? यह और एसे कई सवालों के जवाब मनोरंजक और रोचक तरीके से फिल्म "उस्तादी उस्ताद से" में देखिये।
(From the official press booklet)