Subscribe to the annual subscription plan of 2999 INR to get unlimited access of archived magazines and articles, people and film profiles, exclusive memoirs and memorabilia.
Continueकाली रात। मूस्ला धार बारिश। चैधरी राम प्रशाद अपने परीवार के साथ खाने की मेज़ पर बैठे बातें कर रहे थे। एका एकी चार खूँखार डाकू बँगले में दाखिल हुए। सब घबरा उठे। चैधरी राम प्रशाद की सबसे छोटी बेटी रानी मारे डर के छुप गई। उसने अपनी आँखों, अपने माता, पिता, बहन और भाई का खून होते देखा। सब कुछ लूटने के बाद डाकुओं ने बँगले में आग लगा दी और खुद रात के अँधेरे में कहीं गुम हो गए।
चैधरी साहब का बँगला उनके परिवार की चिता बन कर जल रहा था। रानी इस चिता में से किसी तरह बाहर कूद गई।
पुलिस उन कातिलों का खोज न लगा सकी।
रानी बड़ी हो गई मगर वह चार बेरहम चेहरे हर वक्त उसके सामने घूमते थे जिन्होंने उसे यतीम बनाया। उसने सौगंध खाई, वह उन क़ातिलों से बदला लेके रहेगी और एक दिन वह इस कठिन यात्रा पर निकली।
उसके बाद जो हुआ, स्क्रीन पर देखिए।
(From the official press booklet)