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Muqaddar Ka Badshaah (1990)

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कमज़ोर और मासूमों पर अत्याचार करने की परम्परा शताब्दियों से चली आ रही है। लेकिन अत्याचार के खिलाफ़ जंग का एक नया तरीका फिल्म मुकद्दर का बादशाह में नज़र आयोगा।

नरेश (विनोद खन्ना) एक ईमानदार और मेहनती बस ड्राइवर है। उसकी बहन गीता (सुर्पना आनन्द) है। गीता, अशोक (आसिफ) से प्यार करने लगी। अशोक पब्लिक प्रोसीक्यूटर राना विजय सिंह (अनुपम खेर) का बेटा है। नरेश अपनी बहन गीता की शादी का प्रस्ताव लेकर अशोक के पिता विजय सिंह के पास पहुँचा तो विजय सिंह के दोस्त विक्राल सिंह (अमरीश पुरी) ने घृणात्मक ढंग से ठुकरा दिया। विक्राल सिंह अशोक की शादी अपनी बेटी रजनी (रेशमा) के साथ करना चाहता था, विजय की बेटी अनुपमा विक्राल सिंह के बेटे मानिक (तेज सप्रू) से पयार करती है। मानिक उसे बिन व्याही माँ बना देता है। विजय सिंह पर ऐहसान जताकर विक्राल सिंह मानिक और अनुपमा की शादी करवा देता है।

विक्राल सिंह ने बचपन से विजय सिंह, और विक्रम सिंह की रुपये पैसे से मदद की, और इसी की मदद से विजय सिंह पब्लिक प्रोसीक्यूटर बना और विक्रम सिंह डी.एस.पी.। विक्राल सिंह के ऐहसानों से दबे हुए विजय सिंह और विक्रम सिंह उसके हाथों की कठपुतली बन गये थे। सरकारी वकील और पुलिस के इस बड़े अधिकारी की छत्रछाया में विक्राल सिंह हर ग़ैर कानूनी काम धड़्ड़ले से करता है।

विक्राल ने सबसे बड़ी गलती ये की कि उसने अपनी बेटी और कुछ गुन्डों की मदद से गीता की इज्जत लुटवानी चाही। गीता अशोक की पत्नी बन चुकी थी। राखी के धागे पर दाग़ लगाने के सिले में विक्राल सिंह ने नरेश को साधू से शैतान बना दिया।

नरेश ने कैसे बदला लिया?

क्या विजय सिंह और विक्रम सिंह, विक्राल के जज़बाती ताने बानों को समझ सके?

ये जानने के लिये फिल्म "मुकद्दर का बादशाह" देखिये।

(From the official press booklet)

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