रूप और जवानी के संगम पर सदाही प्यार और मुहब्बत के अनोखे खेल खेल जाते हैं।
जवानी की दिलकश लहरें हर पथक को अपनी तरफ खेंचती हैं और यह जानते हुए भी कि सदा यह लहरें तुफ़ान की सूरत अखत्यार कर लेती हैं फिर भी खेलनेवाले इन लहरों से खेलते हैं।
और यही खेल लारा लप्पा ने जुगनी और गोरी के साथ खेला। लारा जुगनी को अपनी मिलकियत समझता और लप्पा गोरी को लेकिन जुगनी का दिल सदा पटवारी रामदास के लिये व्याकुल रहता था और दूसरी ओर गोरी भी दिन रात पटवारी रामदास को अपनाने के लिये बेचेन रहती थी।
प्यार के झूले में दो प्रेमी ही बैठ सकते हैं जुगनी और रामदास एक हो गये लेकिन गोरी इसे सहन न कर सकी इधर लारा जुगनी को किसी और के साथ देखकर आग बबुला हो गया और लप्पा गोरी को रामदास के गुन गाते देखकर अपना ढारस खो बैठा। इश्क के तुफान ने एक नई करवट ली। लारा लप्पा तो पहिले से ही एक थे और अब इनके साथ गोरी भी शामिल हो गई। प्रेमी पागल होता है और इसी पागलपन का फ़ायदा उठाते हुए गोरी ने लप्पा को अपनी झूटी मुहब्बत में फंसा लिया ताकि वह रामदास और जुगनी से अपना बदला ले सके।
दिल की गहरायों तक आज तक कोई नहीं पहुँच सका।
और यहाँ तो पाँच दिल इकट्ठे हो गये थे इन पाँच दिलों से एक तुफ़ान उठा भयानक और खतरनाक तुफ़ान।
इस तुफ़ान में कौन बह गया और कौन बचा जुगनी और गोरी किस किसके हिस्से आई लारा और लप्पा का क्या परिणाम हुआ चित्रपट पर देखिये।
[From the official press booklet]