शायरों की कल्पना जिस लालपरी को हमारे सन्मुख प्रस्तुत करती है वह एक मदिरा का घूंट है। लेकिन यह कहानी शराब से ज्यादा ज़हरीली उस लालपरी की कहानी है जो खून पीकर पलती थी और शान्ति छीनकर जीती थी। दूसरों को लूटने वाला 'शौकत' उसके हाथों लूट चुका था। लालपरी अगर उसे मुस्कराकर देख लेती तो 'शौकत' का जीवन सौ वर्ष और बढ़ जाता। शौकत जहां एक सभ्य पत्नि का पति था वहां वह एक अबोध बालिका का पिता भी था। लालपरी ने उससे सब कुछ छीनकर उसे डाकू बना दिया था।
अनवर को शौकत न लूटा। "अनवर" जख्मी होकर कहवाखाने में रात बसर करने आया। लालपरी ने अपनी अदाओं के तमाम तीर अनवर पर खत्म कर दिये। और अनवर उसके सुन्दर जाल में फँस गया।
पत्नि की बिमारी का समाचार सुनकर शौकत घर पहुंचा। मरने से पहले शौकत की पत्नि ने उससे यह वचन लिया कि अब वह डाकाजनी नहीं करेंगा। और इस विश्वास के बाद उसने बाप को बेटी से मिला दिया। वर्षों से बिछुड़ा हुआ शौकत बेटी से लिपट गया। खुशी के ऐसे मौके पर यकायक पुलिस ने धावा बोल दिया। शौकत भागा पुलिसने गोली चलाई और यह गोली शौकत के बुढ़े वफादार मुलाज़िम ने अपने सीने पर सह ली। पुलिस ने बाप का पता पता लगाने के लिये उसकी बेटी ज़रीना को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन ज़रीना मौका पाकर फरार हो गई। पुलिस के सिपाहियों ने उसका पीछा किया ज़रीना घबराकर पड़ाव के खेमे में घुस गई। सिपाहियों के पहुँचने के पहले ज़रीना मर्दानी पोशाक पहन चुकी थी। इस तरह पुलिस के सिपाही उसको न पहचान सके और वापस चले गये। अपने कपड़े ज़रीना के बदन पर देखकर बुर्दा फरोश सौदागर का मुंशी फजलु भड़क उठा उसने अपने कपड़ों की कीमत वसूल करने के लिये ज़रीना को बगदाद में लाकर नीलाम के लिये खड़ा कर दिया। यहां अनवर के बापको तरस आया। और उसने ज़रीना को लड़का समझकर अपने बेटे की खिदमत के लिये मुलाजिम रख लिया। अब ज़रीना मर्दाना भेष में जमाल के नाम से अनवर के करीब रहने लगी। एक दिन उसे यह मालूम होकर बहुत दुख हुआ कि अनवर किसी लालपरी के जाल में फँसा हुआ है। उसने मालन के रूप लालपरी का पता चला लिया। और अनवर पर यह साबित कर दिया कि लालपरी एक बिगड़ी हुई औरत है। ऐसे ही एक जशन के मौके पर अनवर के बाप ने लालपरी को अपमानित किया। नागन चोट खाकर घर वापस आई और इन्तकाम की कसम खाई। इत्तफाकन एक दिन पगड़ी उतर जाने से ज़रीना का भेद अनवर को मालूम हो गया। और आहिस्ता आहिस्ता दोनों दिलों में मोहब्बत परवान चढ़ने लगी। इधर शौकत बेटी की तलाश में दर बदर की ठोकरें खाता फकीराना हालत में लालपरी से मिला। उसने अपने इन्तकाम की आग बुझाने के लिये शौकत को फिर अपना आलाएकार बना लिया। हालत ने पलटा खाया और जरीना लालपरी के चगुल में फंस गई। बाला आखेर वह वक्त आ गया। जब ऐय्यारी और मक्कारी का तिलिस्म टूट गया। बाब और बेटी फिर मिल गये।
अनवर और ज़रीना की दुनिया फिर आबाद हो गई। मगर यह सब कुछ किस तरह हुआ? यह परदेये फिल्म पर मुलाहिजा फरमाईये।
[From the official press booklet]