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एक कहावत है कि हमसभी के सात मिलते जुलते चेहरे हैं। पर क्या होगा यदि अचानक हम अपनी ही हमशक्ल से टकरा जायें और वो भी अगर जुड़वाँ निकलें? ये एक अनुभव होगा कुछ खट्टा कुछ मीठा। बिलकुल टीना और स्वीटी की तरह।
स्वीटी (काजोल) एक ज्वाला की तरह विद्रोही लड़की है मगर बिना कारण नहीं। महल जैसा घर जिसमे वो अपने शराबी पिता राज खन्ना (ऋषि कपूर) के साथ रहती है। शराब की वजह से वो अपनी बेटी को वक्त नहीं दे पाता। ऊपर से आँटी (मिता वशिष्ट) जो अपने बेटे टैडी (मयूर) और प्रेमी (प्रमोद माउथो) से मिलकर खन्ना परिवार के सर्वनाश की कुटिल योजनाऐं बनाती रहती है। आँटी की इस ज़हर भरी मीठी छुरी की तरह दुःख दायी योजनाओं से तंग आकर स्वीटी घर छोड़कर सात समंदर पार चली जाती है। और वहाँ उसकी मुलाकात उसकी प्यारी जुड़वा बहन टीना (काजोल) और उनकी माँ (रति अग्निहोत्री) से होती है। जिनके वजूद से वो अनमिज्ञ थी। टूटे हुए घरों के दुःखद अनुभवों से दोनों बच नहीं सकी थी। टीना और स्वीटी विपरित परिस्थितियों का सामना करने का निश्चय करती है। पूर्व चाहे पश्चिम से कभी ने मिले पर उनके माता-पिता अवश्य मिलेंगे। फिर शुरू होता है योजना, षडयंत्र, हँसना, रोना, मज़ा, पश्चाताप, पुर्णःमिलन का चक्र।
कुछ खट्टी कुछ मीठी एक तीव्र मनोरंजक चलचित्र है जिसमें एक सीधी ज़िदग़ी पेचीदा परिस्थितियो में घिरती हैं।
अभिनय, सुनिल शेट्टी का चकित करदेने वाला अभिनय और रति अग्निहोत्री का पुनःआगमन इस चलचित्र के नाम को पूर्णतया सार्थक करते हैं।
[From the official press booklet]