indian cinema heritage foundation

Himmatwala (1983)

Subscribe to read full article

This article is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid articles and features on the website with this subscription.

Subscribe now

Not ready for a full subscription?

You can access this article for $2 + GST, and have it saved to your account for one year.

Pay Now
  • Release Date1983
  • GenreAction, Drama
  • FormatColour
  • LanguageHindi
  • Run Time158 min
  • Length4308.30 meters
  • Number of Reels16
  • Gauge35 mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number85098
  • Certificate Date15/01/1983
Share
9 views

रवी शहर से एक नौजवान, होनहार, पढ़ालिखा और क़ाबिल इंजीनियर बनकर अपने गाँव वापस आता है। रास्ते में उसकी नोकझोंक गाँव के ठाकुर शेरसिंह की इकलौती और लाडली बेटी रेखा से हो जाती है।

जब रवी अपने घर आता है और उसे यह पता चलता है के उसकी माँ सावित्री अपना वह घर बेचकर अपनी बेटी पद्मा के साथ एक टूटे फूटे झोपड़े में रह रही है। और वह दोनें लोगों की मजदूरी करके अपना गुज़ारा कर रही हैं। तो उसके पैरों के नीचे की ज़मीन निकल जाती है। रवी के पूछने पर सावित्री उसे बताती है के इन सबका कारण शेरशिंह है। जो इस गाँव का सरपरस्त और रहनुमा बनकर गाँव के भोले भाले लोगों को अपनी उंगलियों पर नचा रहा है। और जो उसकी बात नहीं मानता वह उसे मौत के घाट उतार कर ही दम लेता है। ऐसी ही एक घटना के दौरान उसके पिता धर्ममूर्ति ने शेरसिंह और मुनीम को एक बेगुनाह किसान की हत्या करते हुये देख लिया। और उनके ख़िलाफ कोर्ट में गवाही दे दी। शेरसिंह रूपों की चमक दिखाकर सज़ा से तो बच गया मगर उसके पिता का जानी दुशमन बन गया। और उसके पिता को जो इस गाँव का एक इज़्ज़तदार और शरीफ़ स्कूल मास्टर था, ज़लील करके गाँव से निकाल दिया। यह जानकर रवी के दिल में शेरसिंह से बदला लेने की ज्वालामुखी फूट पड़ी।

रवी अपने गाँव में बनने वाले डॅम में इंजीनियर की हैसियत से काम करने लगा। और अपने स्नेह और प्यार से लोगों के दिल जीतने लगा। रेखा जो हमेशा उससे नफ़रत से पेश आती थी। उसे अपना दिल दे बैठी और उसके प्यार के रंग में रंग गई।

शेरसिंह को जब पता चला के यह इंजीनियर रवी तो उसी धर्ममूर्ति का बेटा है, तो उसके हाथ के तोते उड़ गये। वह रवी को भी उसके बाप की तरह ज़लील करके गाँव से निकाल देना चाहा। मगर रवी उसके हत्थे नहीं चड़ा। और उसीकी की बेटी रेखा के ज़रिये उसी को गाँव के लोगों के बीच ज़लील करके उसकी हर चाल को नाकाम करने लगा।

एक दिन एक बूढ़ा और कमज़ोर आदमी भटकता हुआ आकर डॅम के करीब चकराकर गिर पड़ता है। रवी उसकी हालत पर तरस खाकर उसे डॅम पर काम करने के लिये रख लेता है। सावित्री उस बूढ़े और कमज़ोर आदमी को पहचान जाती है। और रवी को बताती है के यही उसके पिताजी धर्ममूर्ती हैं। रवी खुशी से पागल हो जाता है।

धर्ममूर्ति के गाँव वापस लौट आने की खबर जब मुनीम शेरसिंह को देता है तो वह चैकन्ना हो जाता है। और वह मुनीम को रवी के माँ-बाप को बिना फाटक की रैल्वे लाईन पर ले जाकर उन्हें ख़तम कर देने का हुकुम देता है।

1.            क्या शेरसिंह की चाल कामयाब हो गई?
2.            क्या रवी मौक़े पर पहुँचकर अपने माँ-बाप को बचाने में कामयाब हुआ?
3.            क्या शेरसिंह को उसके काले करतूतों की सज़ा मिली?

इन सबका जवाब पाने के लिए आइये.... और देखिये "हिम्मतवाला"।

(From the official press booklet)

Cast

Crew

Films by the same director