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निर्देशक दिलीप गुलाटी द्वारा निर्देशित फिल्म 'गिता मेरा नाम' बदले की भावना से प्रेरित एक नारी प्रधान फिल्म है जिसे एक अलग ही अंदाज में चित्रित किया गया है जिसमें मानवीय संवेदनाएं, एक्शन, काॅमेडी, ड्रामा, मधुर संगीत इत्यादि पूर्ण रूप से दर्शकों की आँखों को सिनेमास्कोप स्क्रिन पर स्थिर रखने में पूरी तरह से सक्षम है। किरदार एवं कलाकार जिवंत रूप में दर्शकों के इतने करीब है कि उन्हें कभी भी भूला पाना नामुमकिन है। निर्देशक दिलीप गुलाटी ने "गीता" की ताकत को बताने का एक सक्षम प्रयास किया है जिसे कि प्रत्येक व्यक्ति को महसुस करना चाहिये। शीर्षक के अनुरूप ही कहानी एक गांव की एक भोली भाली मासुम लड़की पर केन्द्रित है, ठाकुर खानदान और अंधे कानुन के जुल्मों सितम, अन्याय, अत्याचार से पीड़ीत है जिसमें अपने निर्दोष पिता को खोती है, दरिन्दों के हाथों अपनी अनमोल इज्जत गंवा बैठती है। ऐसे समय में उसकी विरान जिन्दगी में बाबा ठाकुर रोशनी और ताकत की एक मीनार बनकर आते है। उसके हाथ में बंदुक थमाकर इंसाफ और अपना बदला लेने की प्रेरणा देते है। अपने हाथों से इंसाफ करने के लिये, पापी और जालिमों का विनाश करने के लिये ठाकुर खानदान के जुल्मों सितम के खिलाफ बंदुक उठाती है और इस तरह गांव की मासुम गीता डाकु गीता बनकर अपना प्रतिशोध लेती है। एक दिल छू लेने वाली प्रेम त्रिकोण कहानी भी हसीना अजय और गीता में खुबसुरती के साथ रची गयी है।
सशक्त स्क्रीन प्ले, सुंदर कॅमेरा कार्य, स्लीक-अप एडिटिंग, अमेजिंग साऊँड और विजुअल इफेक्ट्स, भव्य प्रोडक्शन वैल्यु निर्देशक दिलीप गुलाटी द्वारा इस खुबसुरती के साथ रचा गया है कि आज के असंख्य डकैत फिल्मों के बीच यह फिल्म एक अलग अंदाज में दिखाता है।
(From the official press booklet)