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कालिज में सदाचारी, दुराचारी सब तरह के लड़के होते हैं। मोहन सदाचारी था, ब्रह्मचारी था, और नारी जाति से नफ़रत करत था। मोहन और नीना एक ही क्लास में पढ़ते थे। नीना मोहन से कालिज की जान पहचान का फायदा उठाकर एक छोटे से बच्चे को लेकर मोहन के घर पहुँची और मोहन के पिता सूरजभान से कहा कि मैं मोहन की पत्नी हूँ और यह बच्चा आपका पोता है। नीना ने उन्हें विश्वास दिलाने के लिये सबूत भी पैश कर दिये। सूरजभान ने फौरन ही मोहन को बुला भेजा। मोहन, नीना को वहाँ देखकर दंग रह गया। उसने अपने माता पिता से कहा कि यह औरत झूटी है, मेरा इससे कोई ताल्लुक़ नहीं। यह मेरी पत्नी नहीं, यह मेरा बच्चा नहीं। मगर नीना की दलीलों के सामने मोहन की हर कोशिश नाकाम साबित हुई।
नीना ने ऐसा झूठा साहस क्यों किया? ब्रह्मचारी मोहन के चरित्र पर ऐसा झूठा आरोप क्यो लगाया? यह सब एक नारी मुँह से सुनिये और एक ब्रह्मचारी की बुरी हालत पर्दे पर ही देखिये।
(From the official press booklet)