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Duniya Kya Jane (1971)

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  • Release Date1971
  • GenreDrama
  • FormatColor
  • LanguageHindi
  • Run Time95 mins
  • Length1212.38 metres
  • Number of Reels16
  • Gauge35mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number66114
  • Certificate Date22/08/1981
  • Shooting LocationVenus Combines
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अरूणः- मैं एक शिल्पकार (Architect) हूँ। अपनी इस कला से मुझे हेहद लगाऊ था। ईंट, पत्थर और सीमेंट की बेजान इमारतों को तो मैंने ज़िन्दगी की चमक बख़्शी, लेकिन अपने तन मन के बारे में कभी न सोचा था, जो हड्डियों और गोश्त-पोस्त की इमारत है। पहली बार मेरे दिल व दिमाग में हलचल सी उस वक्त मची जब आकस्मिक तौर पर मीना ने मुझे छूलिया था। गो कि मेरे पिताजी के एक बहुत ही गहरे दोस्त ही लड़की भारती हमेशा मेरे साथ खेलती थी, मुझे छेड़ती थी, लेकिन कभी मुझ उससे दिलचस्मी पैदा नहीं हुई। मेरी नज़र में इस छेड़-छाड़ और इन मुलाक़ातों की बुनियाद एक ऐसे पवित्र रिश्ते पर क़ायम थी, जिसमें मन की भावनाओं को कोई दख़ल नहीं होता। यह मुहब्बत भी क्या चीज़ है कि बस मीना की एक झलक ने मुझ पर जादू सा कर दिया। कुहब्बत की देवी को मानो मुझ पर दया आ गई हो। मीना से मेरी शादी हो गई, लेकिन-लेकिन इस शादी के बाद भारती इतनी बदल क्यों कई थी? एक अजनबी के हाथों अपने आपको उसने कठपुतली क्यों बना लिया था, वह उसके चँगुल में क्यों फँसी हुई थी? उसने खुद अपने दामन में कांटे क्यों भर लिये थे? वह ऐसी ज़िन्दगी क्यों गुज़ारने लगी थी, जिससे मेरे सारे ख़ान्दान के लोग दुखी हों? और उसने अपना ऐसा अन्जाम क्यों ढूंढ लिया? इन सवालों का जवाब न मुझे मालूम है और न मेरे घर में किसी को। हमें तो बस अपने जख़मी एहसासात का पता है और भारती की बदक़िस्मती पर अपनी हमदर्दी का।

मीनाः- भारती मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली थी और अरूण से मेरी शादी के बाद वह जैसे मेरी रिश्तेदार भी बन गई। उसने मेरे आंचल में खुशियों के फूल भर दिए, लेकिन उसका अपना दामन? उसकी ज़िन्दगी एक न सुलझनेवाली पहेली बन गई। मेरी ज़िन्दगी में बहारों की रेनाइयाँ सिमट आई थी, लेकिन भारती की ज़िन्दगी पर ख़िजाँ की वीरानियाँ छा गईं। मैंने उसे समझाया, विनती की कि वह अपने आपको बचाले, लेकिन उसकी क़िस्मत उसे उन अंधेरों में ले गई जहाँ उजाले की किरन का पैदा होना सिर्फ़ भगवान के हाथ में होता है।

प्राणः- मैंने हमेशा यह जानने की कोशिश की कि खिलंडरेपन और बेफ़िक्री का मतलब क्या होता है। फिर मैंने देखा कि मैं खुद ही एक खिलंडरा और बेफ़िक्रा आदमी हूँ। ज़िन्दगी सिर्फ़ ज़िन्दा रहने का नाम नहीं। इसलिए मैंने ज़िन्गी का सही मज़ा उठाकर जी भर के जी लेने की ठान ली। मुहब्बत के सफ़र में मेरे मुलाक़ात मीना से हुई, लेकिन आकस्मिक तौर पर होने वाली यह मुलाक़ात मुझे मीना से कोई ख़ास दिलचस्पी न पैदा कर सकी। अरूण से मीना की शादी के बाद जब भारती मुझे मिली तो मैंने फ़ैसला कर लिया कि मुहब्बत की राह के इस मोड़ पर रूककर भारती से मुहब्बत का खेल खेल लूँ। मैं इसमें कामियाब भी हुआ क्योंकि भारती की ज़िन्दगी एक पतंग बनकर उसकी डोर मेरे हाथ में आ गई थी। मैंने उसे अपने हथों खिलैना बना लिया, बस एक खिलौना। उसके चाहने या न चाहने की मैंने कोई परवा न की थी। मुझे ऐसी लापरवाई बरतनी नहीं चाहिए थी वरना मेरा यह अंजाम न होता।

जजः- एक जज के लिए अपने किये हुए वादे को निभाने का एहसास होना ज़रूरी है। मैं समझा था, यह एहसास मुझे है। भारती की माँ ने मरते हुए भारती की देखभाल और उसकी तालीमो तर्बियत की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी थी। क्या मैं अपना वादा पूरी तरह निभाने में कामियाब हो सका? नहीं- भारती ने ऐसे तौर तरीक़े कब अपनाये, जो उसकी ज़िन्दगी में ज़हर घोल रहे थे? यह मुझे नहीं मालूम था और जब मालूम हुवा तो मैं उसे सही डगर पर नहीं ला सका- बहुत देर हो चुकी थी- क़ानून ने अपना फ़र्ज अदा करके उसे मुज्रिम क़रार दिया। मैं यह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसका यह अंजाम होगा।

भारतीः- शमा जलती है - दुनिया को रोशनी देने के लिए - मैं जली - एक शमा की मानिन्द - अपने आपको जलाया तो किसी और कीे ज़िन्दगी में रोशनी फैलाने के लिए। मुझे मालूम था कि मैं ज़िन्दगी के सही और सच्चे रास्ते से भटकती जा रही हूँ, लेकिन मेरे लिए भटकना जरूरी था। शायद दुनिया यह जानती हो। मैं यह चाहती हूँ कि मेरे दिल की गहराइयों को दुनिया जाने। फिर भी मुझे जाने तो दुनिया क्या जाने।

(From the official press booklet)

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Crew

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