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एक छोटे से गांव में एक बड़ा घर था-उस घर में एक बहिन एक भाई, एक मां, और दो बेटे एक मामा और दो भानजे रहते थे।
तुलसी बहिन थी और वमांजी भाई, तुलसी के मुरली और विनोद पुत्र-गांव की जीवनी मंद मंद गती करती है इसकी तालाब के समान गती होती है और जंगल की भयानक एकान्तता - गांव के इस बड़े परिवार की जीवनी भी धीमे 2 बह रही थी।
और एक ऐसा भी समय आया की मुहब्बत उस घर की दिवालों में चुपके से घुस गई और घर की जिंदगी अपनी तेजी से प्रगति करने लगी, घर की सोई हुई दिवालें भी जाग उठी, प्रेम के फूलों ने उस घर को स्वर्ग बना दिया।
और फिर एक दिन ऐसा भी आया कि प्रेम के फूल जलते हुए अंगारे बन गये-गृह स्वर्ग ने नरक का उग्र रूप धारण कर लिया- तुलसी अपने भाई से और भानजे अपने मामा से अलग हो गये-गांव का यह बड़ा घर उजड़ गया और मुहब्बत खून के आंसू बहाती रह गई-
स्वर्गीय फानी ने क्या अच्छा कहा है-
दिल का उजड़ना सहल सही-बसना सहल नहीं जालिम
बस्ती बसना खेल नही, बसते बसते बसती है।
दिल की बस्ती
उपरोक्त शेर की जिन्दा घटना है, इस में आंसू भी हैं, हंसी भी, जीवनी (जिन्दगी) भी है और प्रेम (मुहब्बत) भी-प्रेम का ही दुसरा नाम जीवनी है (जिन्दगी)।
- वाहिद कुरैशी
(From the official press booklet)