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राय साहब अपने बेटे अमृत की शादी कलेक्टर की बेटी राधिका से बड़ी धूमधाम से कर देते है। विदायी के समय दुर्भाग्यवश घोड़ा बेकाबू हो जाता है और दूल्हे को एक पत्थर पर पटक देता है। वह वही दम तोड़ देता है और राधिका सुहागिन से विधवा बन जाती है।
राय साहब विधवा बहू को बेटी मानकर अपनी हवेली में रख लेते हैं। इसी दौरान एक पढ़ा-लिखा खूबसूरत नौजवान शेखर राधिका की जिंदगी में अचानक आता है। उसके आने के बाद हवेली की शांति एक अचानक सैलाब आ जाता है और एक मनहूस सुबह मालूम पड़ता है कि राधिका गर्भवती है।
इस सैलाब के बाद क्या हुआ? हवेली की अज़्जत सैलाब में बह गयी या नहीं? सिनेमा के परदे पर देखिए।
(From the official press booklet)