सोलजर दीपक जब लड़ाई से गांव लौटा तो उसकी आंखों में खून उतर आया क्योंकि उसके ज़ालिम और बेईमान चाचा ठाकुर ने उसकी मां और बहिन को खानदानी हवेली से बेदखल करके झोंपड़ी में रहने पर मजबूर कर दिया था, दीपक मां और बहिन को छोड़ कर चाचा से जवाब तलब करने गया, चाया और दीपक की बड़ी झड़प हुई और मामला पंचायत में जा पहुंचा, पंचायत में जिद्दी ठाकुर अकड़ गया, दीपक ने ठाकुर को चेतावनी दी अगर उसकी जायदाद उसे ना मिली तो खून खराबा हो जायगा। दीपक की चेतावनी हकीकत बन गई और दूसरे दिन सुबह खेत में लोगों को ठाकुर की लाश मिली। खून का इलज़ाम दीपक पर लगा। अदालत में झूटे गवाहों ने दीपक को मुजरिम साबित किया-
(1) क्या दीपक मुजरिम था?
(2) क्या दीपक कातिल था?
यह सब आप रजत पट पर देखिये।
(From the official press booklet)