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Shikar (1955)

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  • LanguageHindi
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कैलाशचन्द्र अपना फर्ज़ अदा करने के लिये कामिनी को अपने घर ले आये और उस दिन का इन्तजार करने लगे कि कामिनी की शादी करके सारी दौलत जो कि कामिनी के पिता मरने से पहले उन्हें सौंप गये थे, कामिनी के हवाले कर दें।

दिन और दिल बदलते देर नहीं लगती। एक दिन कैलाशचन्द्र ने सोचा कि कामिनी उनके लड़के दीश से शादी कर ले तो सारी दौलत उनके पास ही रहेगी। वक्त ने साथ दिया, कामिनी राजी तो हो गई और उन्होंने उसकी मंगनी अपने बेटे दीश से कर दी।

होनी बड़ी बलवान है। कामिनी अचानक बीमार पड़ी और मर गई। कैलाश चन्द्र के हाथों के तोते उड़ गये। कामिनी लाश के क़रीब बैठे हुए कैलाशचन्द्र उसकी दौलत के बारे में सोच रहे थे कि उन्हें याद आया कि एक बार उन्होंने एक लड़की कम्मो को देखा था जो कि कामिनी की हम-शक्ल थी। बस ख्याल आते ही चन्द बदमाशों की मदद से वह कम्मो को उठा लाये और कामिनी की लाश को बहा दिया। कम्मो कामिनी बन गई। अब कैलाशचन्द्र यह चाहते थे कि कम्मो की शादी दीश से करके कामिनी की दौलत पर कब्जा कर लें और फिर कम्मो को अच्छी रक़म देकर उसे उसके घर पहुंचा दें।

कम्मो शादी शुदा थी, पतिव्रता थी और उसका पति शेखर भी उसे बहुत चाहता था। शेखर अपनी पत्नी के लिये बेचैन हो गया, मगर जब पुलिस ने कामिनी की लाश दिखाई तो शेखर को यक़ीन हो गया कि उसकी पत्नी मर गई।

कम्मो ने शादी शुदा होते हुए दूसरी शादी की या नहीं? कैलाशचन्द्र अपनी चाल में कामयाब हुए या नहीं? कम्मो और शेखर का क्या हुआ?

इन सवालों का जवाब आपको फ़िल्म “शिकार” देखने पर मिलेगा।

(From the official press booklet)