यों तो जिन्दगी खुद एक मेला है मगर हम उस मेले की बात करते हैं जिसमें कुन्दन की मुलाकात रंगीली से हुई। भगवान की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ा कर कुन्दन और उसकी मुंह-बोली मां बाहर निकल रहे थे कि मां का पांव फिसल गया। एक लड़की ने दौड़ कर सहारा दिया। पीछे चोर चोर का शोर मचा। सहारा देने वाली लड़की एक मिनिट में गायब हो गई। कुन्दन को शुबा हुआ देखा तो मां का बटुआ गायब था जिसमें स्वर्गवासी की निशानी एक लाकेट था..........।
यही कुन्दन बचपन में आवारा लड़कों की संगत में खुद भी आवारा और जेब कतरा बन गया था अपनी इसी बुरी आदत के कारण जब वह बाल सुधार आश्रम में जिन्दगी गुजार रहा था उस वक्त यही मुंह बोली मां मुहब्बत और ममता की देवी बनकर उसे बाल सुधार आश्रम से निकाल लाई थी और आगे इसी मां के कारण कुन्दन आज एक अच्छा “शहरी” और उसी बाल सुधार आश्रम का सुपरिन्टेन्डेन्ट बन गया था जिसमें बचपन में रक्खा गया था। आज इसी खुशी में मां और कुन्दन भगवान के सामने प्रसाद चढ़ाने मेले में आये थे। प्रसाद चढ़ाकर निकल ही रहे थे कि यह वाक़या हो गया। कुन्दन मां की जरा-जरा सी बात का ख्याल रखता था उसने लड़की का पीछा किया मगर बेसूद। लाकेट न मिला।
मेले से वापस आने को तो वे आ गये मगर मां को लाकेट के खो जाने का बहुत सदमा था। कुन्दन अपने पुलिस इन्स्पेक्टर दोस्त के साथ लाकेट की तलाश में निकलता है - बाजार में एक लड़की से टक्कर हो जाती है, लड़की में एक अनोखापन है, थोड़ी ही देर बाद वही लड़की ट्राम से उतरती हुई मिलती है मगर इस मर्तबा उसके कपड़े बदले हुये थे कुछ दूर चलने के बाद वही लड़की बाजार में नजर आती है। और इस मर्तबा आश्चर्य की बात यह है कि वह लाकेट जिसके लिये कुन्दन इतना परेशान था उसी लड़की के पास दिखाई देता है और ताड़ जाता है कि यह लड़की चोर है।
ज्यों-त्यों करके कुन्दन उस लड़की से लाकेट हासिल कर लेता है मगर साथ ही उसे कुरेद सी लग जाती है और वह इरादा कर लेता है कि चाहे कुछ भी हो जाये वह इस लड़की को सीधे और अच्छे रास्ते पर लाकर ही रहेगा। लिहाजा वह साये की तरह लड़की का पीछा करना शुरू कर देता है।
रंगीली को कुन्दन की इस तरह पीछा करना बुरा लगा और एक दिन दोनों में तू तू मैं मैं हो गई। कुन्दन ने लड़की के गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और चला गया। कुन्दन तो चला गया, मगर रंगीली को रह-रह कर यह अनुभव होने लगा कि कुन्दन ठीक कहता है, चोरी चकारी की जिन्दगी अच्छी नहीं। क्या उसे कुन्दन से मोहब्बत हो गई थी?
रंगीली अपने विचारों की उधेड़ बुन में घर पहुंची तो देखा कि घर वालों का रंग ही बदला हुआ है। उसकी मौसी और चोखे लाल जो उसी की कमाई पर गुजारा करते थे कुन्दन की मुसलसल मौजूदगी और उन दोनों के लगाव से वाकिफ हो चुके हैं। रंगीली को उससे दूर रखने की तरकीबें सोच रहे हैं। देखते ही रंगीली पर बरस पड़ते हैं ये रात रंगीली एक अजीब ज़हनी कशमकश में गुजारती है। कुन्दन की दिल को लगने वाली साफ और सच्ची बातों ने उसकी नींद हराम कर दी मगर वो तो खफा होकर चला गया। रंगीली ये तय करती है कि जिस तरह भी मुमकिन होगा वह उसे फिर अपनी तरफ रूजू करेगी। अगले दिन रंगीली कुन्दन को ढूंढने जाती है मगर चोखे लाल उसका पीछा करता है और इस तरह चोखे लाल और कुन्दन की पहली मुठभेड़ होती है। चोखेलाल को हीरा लाल जैसे आदमी का सहारा मिल जाता है जो मोती महल नामी शहर के एक बदनाम होटल का मालिक है। और वह चोखे लाल और मौसी को लालच देकर रंगीली को मोती महल में नौकर रख लेता है लेकिन जैसे ही रंगीली को मालूम होता है कि यहाँ काला धंधा होता है तो वो नौकरी छोड़ देती है।
उधर एक चीनी किसी बाहर के मुल्क से बहुत कीमती हीरे चुरा कर लाता है, और वो मोती महल में लाकर ठहराया जाता है। हीरालाल की नियत इन हीरों पर खराब हो जाती है, और उन्हें चुराने के लिये रंगीली की जरूरत पड़ती है। मालूम होता है कि वो नौकरी छोड़ कर गीलाराम होटल में मुलाजिम हो गई। चोखेलाल एक चाल चलता है और रंगीली वहां से चोरी के अल्जाम में निकाल दी जाती है। अफसोस इस बात का होता है कि ये वाक़या ऐन उसी वक्त होता है जब कि रंगीली कुन्दन को यकीन दिला चुकी है कि उसने चोरी छोड़ दी है।
कुन्दन नाराज होकर वापस चला जाता है। रंगीली का दिल टूट जाता है, और वह मोतीमहल वापस आ जाती है। कुन्दन को वापस बालसुधार आश्रम पहुंचने के बाद ख्याल आता है कि शायद रंगीली ठीक कहती हो। वह उससे मिलने को मोतीमहल जाता है वहाँ बदमाश चोखेलाल पोलिस से अपनी जान बचाने के लिये चोरी के हीरे चुपके से कुन्दन की जेब में डाल देता है।
रंगीली रात को उसे इतला देने जाती है ताकि वहीं कुन्दन न पकड़ा जाय। मगर चोखेलाल पीछा करता है और उसे वो हीरे कुन्दन की जेब से निकाल लाने पर मजबूर करता हैं और वो जबरदस्ती हीरे निकाल कर लाती भी है मगर दो हीरे कुन्दन के घर में कहीं रह जाते है। चोखेलाल पुलिस को खबर देता है और कुन्दन चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया जाता है।
रंगीली किस तरह बदमाशों के फन्दे से निकालती है, कुन्दन किस तरह बेकसूर साबित होता है। हीरालाल और चोखेलाल की क्या दशा होती है यह सब परदे पर देखिये।
(From the official press booklet)