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Nanhe Munne (1952)

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हमारे नन्हे मुन्ने माँ-बाप के छत्र के नीचे बेमुल्क्के बादशाह थे। बेफिक्री उनकी सलतनत, लापरवाही उनकी दौलत, और शरारत उनकी जायदाद थी। किसकी मजाल थी के इनसे आँखें मिलाता, किसकी ताकत थी के उन्हें शरारतों से रोकता, और किसकी हिमत थी के उन्हें घर से निकालता!

बुरा वक्त कहकर नहीं आता। उन पर भी बुरा वक्त आया। माँ-बाप का छत्र टूटकर जमींपर आ रहा और वोह बादशाह दुनिया की ठोकरें खाने लगे। उन्हें बेसहारा देखकर बेरहम पड़ोसियों की बन आयी, और उन्हें जी भरके तकलीफें दीं। तरह तरह से उन्हें सताया, यहां तक के घर से निकल जाने पर मजबूर कर दिया। पहले पहले तो इन मासूमों ने सबका डटकर मकाबला किया, खूब हिमत से काम लिया मगर आखिर में उनकी हिमत खुदगर्ज और बेदर्द लोगों की हिमत के सामने हार मान गयी! उनके पैर उखड़ गये। "नन्हें मुन्ने" बेबसी और मायुसी को सीने से लगाकर रोते रोते चींख उठे, के माँ-बापू तुम्हारे बीना हम किस किससे लड़ें और किस किसका मुकाबला करें। इस खुदगर्ज दुनिया में हमारे लिये कोई जगह नहीं, कोई ठिकाना नहीं!

"नन्ने मुन्ने" अपने दोस्तों और बाल बच्चों के साथ देखिये, और अपने देश के लाखों नन्ने मुन्ने को बरबाद होने से बचाइये, और उनके आँसूं अपने प्यार के दामन से पूंछीयें।

(From the official press booklet)