indian cinema heritage foundation

Mulzim (1988)

Subscribe to read full article

This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.

Subscribe now

You can access this article for $2 + GST, and have it saved to your account for one year.

  • LanguageHindi
Share
36 views

एक शहर में शरीफ़ आदमी कि तरह जीने वाला रंजित खैद में एक समारोह पर बुलाया जाता है. वहाँ वह विजय नाम के एक खैदी को मिलना चाहता है लेकिन विजय जब उसे देखता है तो वह क्रोध में रंजित को ख़तम करने जाता है और जैलर शरदा देवी विजय को पकड़कर फिर से अंदर ले जाती है.

वकील माला और पोलीस आफीसर नीरजकुमार रिश्तेदार है. उन दोनों में कभी कभी अपने काम के सिलसिले पर झगड़े होते रहते है और ऐसी ही एक समय में माला कहती है कि वह एक बुरा आदमी को वह भला करके दिखाएगी. और इस काम के लिए वह विजय को मिलने जैल जाती रहती है. बहुत कोशिश के बाद विजय माला को अपने बारे में सब कुछ बताता है।

विजय अपनी बहन कमला और साली रेखा के साथ रहता है. रेखा डाक्टर है और वह गरीबों के लिए दवाखाना बनाना चाहती है. लेकिन रन्जित उस जगह को नकली कागज पैदा करके हास्पटल बनने नहीं देता. और इस बीच में वह अपनी गर्लफ्रेंड शीला को खून करके उस इल्जाम को विजय पर रख देता है. और विजय जेल जाता है।

माला विजय को जेल में छुड़वाके जेलर शरदा देवी के घर ले जाती है. विजय रंजित के घर जाके उसे खतम करना चाहता है लेकिन उसे मालूम होता है के रन्जित उसका साला है. तब शरदा देवी वहाँ आकर विजय को अपने घर ले जाती है.

माला विजय से अपने रोजगार खुद कमाने के लिए कहती है. कुछ दिन बाद नीरज कुमार के खून हो जाता है. और उसका खूनी भी विजय ही माना जाता है. जेलर शरदा देवी असली खूनी रंजित को खतम कर देती है. अपनी बेटी पिंकी को विजय और माला को सोंपकर जैल चली जाती है।

(From the official press booklet)

Subscribe now