सुशील एक बहादुर, वफ़ादार, होनहार और देश की आन पर मर मिटनेवाला इन्सपेक्टर है. एक दिन सी.बी.आई. के चीफ संग्राम सिंग ने सुशील को उस खतरनाक गैंग के बारे में बताया जो स्मगलिंग और दूसरे ग़ैर-कानूनी कामों से देश को खोखला कर रही थी. उस ख़तरनाक गैंग के एक ख़तरनाक और खास मोहरे कंवरलाल के बारे में बताया जिसकी शक़ल हूबहू सुशील से मिलती जुलती थी और जो इस वक़्त जेल में सज़ा काट रहा था. सुशील को कंवरलाल बन कर उस ख़तरनाक गैंग में शामिल होकर उन्हें पकड़वाने की स्कीम बताई.
सुशील कंवरलाल बन कर उस ख़तरनाक गैंग के काले करतूतों को फ़ोटोग्राफ और टेप करना शुरू कर दिया. मगर बदकिस्मती से "आज़ाद" जो उस ख़तरनाक गैंग का एक और ख़तरनाक मोहरा था और जिसे शुरू से ही सुशील पर शक था, मौके पर पहुँच कर उसे नज़रबंद करवा दिया और उस ख़तरनाक गैंग के ख़तरनाक बाॅस टोपीवाला पर सुशील की असलियत ज़ाहिर कर दी.
सबूत वापस न देने पर उन लोगों ने सुशील की वह दुरगत बनाई और उसकी हामला पत्नी को इस बुरी तरह से ज़लील करके उसकी आँखों के सामने मार डाला कि उनके इस जुल्म को देख कर खुदा भी काँप गया.
रीता जो उस गैंग में ज़बरदस्ती काम कर रही थी, सुशील की हालत पर तरस खाकर उसे सबकी नज़रों से बचाकर आज़ाद कर दिया.
सुशील सारे सबूत लेकर संग्राम सिंग के पास आया, मगर जब उसने देखा कि उन्हें मिनिस्टर की तरफ़ से सुशील को गिरफ्तार करने का हुकुम मिलने पर उन्होंने खुदकुशी कर ली तो उसके सर खून सवार हो गया और दिल में बदले की ज्वाला मुखी फूट पड़ी।
उसने टोपीवाला और उसके साथियों का खून करके, उनकी लाशों और उनके तमाम काले करतूतों के सबूत के समेत क़ानून के कठड़े में जा पहुँचा। उसके पीछे पीछे पुलिस भी हथ़्ाकड़ी लेकर आ धमकी।
सुशील को सज़ा हुई या उसे रिहा कर दिया गया?
सुशील के हक़ में जज ने क्या फ़ैसला किया?
इसका जवाब आपको सेल्वलाईड स्क्रीन देगा।
(From the official press booklet)