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Continueमक़सद कहानी है कुछ चरित्रों की इसी दुनिया से संम्बन्धित थे। किन्तु उनके दृष्टिकोण अलग थे।
एक ओर तिलक पढा लिखा बेकार नवयूवक। शारदा तिलक की माँ एक आदर्श नारी। पडौ़सी मास्टर विष्णुप्रसाद; ज़िन्दगी की जंग हारा हुआ निढाल सिपाही। विष्णु की बेटी भारती; सहन शक्ति की जीती जागती तस्वीर।
दूसरी ओर सेठ धरमराज नेक दिल इंसान। धरमराज का बेटा राजेशवर; अपनी आन पर मिट जाने वाला। फनराज की बेटी रानी; मासूम और भोली । नागीरेड्डी का बेटा बिच्छूरेड्डी; मूर्ख नाथ।
और तीसरी ओर भेड़िये नागीरेड्डी; फनराज नागेन्द्र और नागेन्द्र का बेटा नागपाल।
एक दिन जब तिलक को अपनी माँ के द्वारा पता चला के उसके पिता सत्यजीत एक क्राँन्तिकारी थे और उनके जानी दुश्मन फनराज; नागेन्द्र और नागीरेड्डी के हाथों वह मारे गये, और वह खूनी दरिन्दे अब भी ज़िदा है और उनकी दरिन्दगी ने मासूम और भोली भाली जनता का जीना मुश्किल कर दिया है, तो तिलक के दिल में उनके ख़िलाफ बदले की आग भड़क उठी ।
उधर सेठ धरमराज का खून हो गया, और इल्जा़म तिलक के सर लग गया। राजेशवर ने भी तिलक को अपने पिता का खूनी समझा। मगर सच्चाई ने राजेशवर की आँखें खोल दी, उसे यह पता चल गया के तिलक के पिता और कोई नहीं उसके चाचा थे।
क्या तिलक और राजेषवर असली कातिलों तक पहुँच सके ?
क्या उनका मक़सद पूरा हुआ ?
जानने के लिए देखिये "मक़सद"।
(From the official press booklets)