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लक्ष्मी एक गांव की भोली भाली लड़की है। उसके मां बाप उसकी शादी एक रमेश से करना चाहते हैं। जो एक जमींदार का लड़का है। दोनो एक दूसरे से नहीं मिले। रमेश शहर में जाकर एक थिएटर का मालिक बन जाता है। रमेश ये सोच कर कि गांव की गंवार लड़की से शादी करने का कोई फायदा नहीं। अपने मां बाप को लिखता है कि लक्ष्मी से इसकी सगाई तोड़ दी जाय। लक्ष्मी को ये ख़बर सुनकर बहुत दुःख होता है और लक्ष्मी शहर में जाकर रमेश से मिलना चाहती है। जमींदार का गुमास्ता उसका हमदर्द है। वो भी उसके साथ शहर में आता है। दोनो शहर में जाकर रमेश से मिलते हैं और नौकरी मांगते हैं रमेश का डांस डायरेक्टर लक्ष्मी से कुछ इस तरह पेश आता है कि वहां उन्हें नौकरी नहीं मिलती। लक्ष्मी रमेश के घर आती है। और नौकरानी बनकर घर का काम संभाल लेती है। फिर लक्ष्मी की थिएटर की हिरोइन नीलम से कुछ तू तू मैं मैं हो जाती है। रमेश के लिये मुश्कील हो जाती है; यहां तक कि लक्ष्मी थिएटर में नीलम की जगह संभाल लेने का फैसला करती है। लेकिन नीलम और उसके साथी शो चालू होने से कुछ देर पहले लक्ष्मी को गायब कर देते हैं। दूसरी तरफ, नीलम के साथ रमेश को एक जगह बंद करके मजबूर करते हैं कि वो अपना थिएटर उनके नाम पर कर दे ... ...
आखिर में किस की कामयाबी होती है। लक्ष्मी की तलाश का अंजाम क्या होता है ये सब फिल्मी परदे पर देखिये।
[From the official press booklet]