भानु प्रताप का एक खुशहाल परिवार है। उनका लायक बेटा है शंकर, भोली-भाली खूबसूरत बेटी है नन्दनी, पत्नी भी देवी जैसी है। भानु प्रताप के माता-पिता भी अभी जीवीत है।
एक दिन अचानक जब घरवालों को पता चला कि उनका बेटा शंकर, एक आँवारा लड़की शेफाली से प्यार करता है तो उस लड़की का खून करा दिया जाता है और भनु प्रताप न शंकर की शादी मुक्ता नाम की लड़की से करा दी।
मुक्ता ने घर में दुल्हन बनकर आने के बाद सारे घरवालों के दिल जीत लिये। शंकर उसे बेपनाह प्यार करने लगा। मुक्ता भी उसपर जान छिड़कने लगी। मगर एक दिन शंकर को जरूरी काम से लन्दन जाना पड़ा। और उसके जाते ही हँसते-खेलते घर में भूचाल आ गया। लाशें गिरने लगीं।
सबसे पहले दादी का खून हुआ, फिर दादा सीढ़ियों से गिर कर मर गये। लोग दादा-दादी की मौत को हादसा समझ कर भलाने की कोशिश करने लगे। मगर ए.सी.पी. कुमार को यह मौतें हादसा नहीं, साजिश लगने लगी। सबसे पहले उसका शक घर की बहू मुक्ता पर गया, जो दादा-दादी के मरते वक्त उनके साथ थी। अभी ए.सी.पी. कुमार सच्चाई को तलाश कर ही रहा था शंकर का बहन नन्दनी का खून हो गया। ए.सी.पी. कुमार का शक मुक्ता पर एकदम पक्का हो गया और जब ए.सी.पी. कुमार मुक्ता को अरेस्ट करने उसके घर पहुंचा तो घर पर कोई भी नहीं था। मगर ए.सी.पी. कुमार भी कम नहीं था।
नीलकंठ उस लड़की शेफाली का बाप था, जिससे शंकर प्यार करता था। शेफाली को भानु प्रताप ने मरवा डाला था। मरने के बाद शेफाली की आत्मा अपने बाप के कहने पर मुक्ता के शरीर में समा जाती है और भानु प्रताप के परिवार का एक के बाद एक खून करने लगती है। शंकर की बुआ भी इस साजिश में शामिल थी। उसे अपना भाई भानु प्रताप की जायदाद में हिस्सा नहीं मिला था, इसलिए वो सारी जायदाद हड़पना चाहती थी। इसलिए जब शंकर और मुक्ता बचे तो नीलकंठ और बुआ शंकर से कागजात पर साईन करवा कर दोनों को शेफाली के भूत से मरवा डालना चाहते थे।
क्या बुआ और निलकंठ को भानु प्रताप की जायदाद मिल गई?
क्या शंकर और मुक्ता को शेफाली को भूत ने मार डाला?
क्या ए.सी.पी. कुमार खूनी को पकड़ने में कामयाब हुआ?
इन सभी सवालों का जवाब पाने के लि देखिए- खुनी शिकंजा - सिर्फ बड़े पर्दे पर ही।
[From the official press booklet]