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Jeevan Tara (1951)

  • Release Date1951
  • GenreDrama
  • FormatB-W
  • LanguageHindi
  • Shooting LocationCitadel
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राजा विजयसिंह का जब देहान्त होता है तब वह अपनी पत्नी और पुत्री तारा को उदयसिंह नाम के अपने मित्र के हाथ दुपुर्द कर देता है। उदयसिंह के दो बेटे हैं; बड़े का नाम प्रताप है और छोटे का है जीवन। उनकी माँ की मृत्यु कभी हो चुकी थी। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।

जब प्रताप सयाना हुआ तो फ़ौज में भर्ती होकर युद्ध में चला जाता है। महल में अक्सर जीवन की मुलाकात तारा से हीती है और उन दोनों के बीच दोस्ती भी बढ़ती है। कुछ ही दिनों में उनकी दोस्ती मुहब्बत में परिणत हो जाती है। यों कुछ साल बीतते है। बड़ा भाई युद्ध से लोटता है। जीवन ख़शी से भाई का स्वागत करता है और दोनांे गले लगा लेते हैं।

राज्य का मंत्री लालची है। यह राज्य को अपनाकर ख़ुद राजा बनना चाहता है। वह समझता है कि जब तक ये दोनों भाई इस तरह मिल-जुलकर रहेंगे हमारे अरमान पूरा न होंगे। इसलिये वह दोनों में फूट डालने का उपाय सोचता है। वह राजा से और तारा की माता से मिलकर जीवन की आँखों के सामने ही तारा का विवाह प्रताप से कराने का निश्चय करता है। तारा को कुछ न सूझता; वह कुछ नहीं कर पाती। वह चुपचाप खड़ी रहती है। इस घटना से बेचारे जीवन का दिल टूट जाता है और वह आत्महत्या कर लेना चाहता है।

इसी समय समाचार मिलता है कि दुश्मनों ने उनके राज्य पर आक्रमण कर दिया है। दोनों भाई जंग में चले जाते हैं। युद्ध में छोटा घायल हो जाता है, बड़े भाई की सेवा के पैर उखड़ जाते हैं। जीवन के घायल हो जाने की ख़बर पाकर तारा उससे मिलने जाती है। भाई से उसके प्याह की बात जब उठी तब तारा उसके विरुद्ध कुछ न बताकर चुपचाप खड़ी थी। इसे जीवन ने देखा था। उसने ग़लत समझा कि तारा भी इस शादी से सहमत है। इसलिये वह तारा को बुरी तरह कोसता है और वहाँ से भेज देता है।

बेग़ुनाह तारा एक पर्वत कीे तरफ़ दौड़ती है और रास्ते में बेहोश होकर गिर पड़ती है। जीवन के एक साथी- लाला-की मदद से तारा महल में पहुँचा दी जाती है।

अगले दिन लाला जीवन के पास चलता है और उसे समझाता है कि तुरन्त वह जाकर तारा से मिले; अन्यथा तारा की मृत्यु निश्चित है। जीवन तारा से मिलने और उससे क्षमा माँगने निश्चय करता है। मंत्री इसे जानता है तो वह प्रताप को वहाँ बुला लाकर इस दृश्य को दिखात है। ग़लतफ़हमी के कारण प्रताप जीवन पर संदेह करता है। वह जब हाथ में तलवार ले लेता है तो जीवन को भी लाचार होकर तलवार से जवाब देना पड़ता है।

भाई-भाई की इस लड़ाई का अन्त क्या हुआ, अबला तारा की हालत क्या हुई आदि बातें फ़िल्म में देखिये।

[From the official press booklet]