Subscribe to the annual subscription plan of 2999 INR to get unlimited access of archived magazines and articles, people and film profiles, exclusive memoirs and memorabilia.
Continueदुनिया में आंसू ज्यादा है और मुस्कुराहटें कम..................
यह दो घरानों की कहानी है एक शहरी दूसरा देहाती। शहरी घराने में सेठ चुनीलाल, उनकी धर्मपत्नि उनका इकलौता बेटा ’चन्द्र’ उनकी लड़की ’राधिका’ और घर जवाई ’चमन’ रहते हैं। हर तरह के विषय साधन हैं-घर में नौकर चाकर, शहर में सम्मान और रुपये की भी कमी नहीं।
दूसरा देहाती घराना है-रूपा और उसके दो भाई मोती और गुलाब। कम आमदनी कम आवश्यकताएं-हंसी खुशी और प्रेम की दुनिया में रहते हैं।
किसी ने सच कहा है लड़की शादी के बाद पिता के घर सम्मान से नहीं रह सकती। चमन और राधिका की घर रती भर भी इज्जत नहीं। एक दिन उनकी गैरत जाग उठती है और दोनों घर छोड़ कर चले जाते हैं। इन्शेरेंस का काम शुरू कर देते हैं। इन्हीं दिनों उन की मोती और रूपा से जान पहचान होती है- मोती की जिन्दगी का बीमा किया जाता है। थोड़े ही दिनों के पश्चात रूपा अपने स्कूल के लिए चन्दा इकट्ठा करने शहर आती है वहां चन्द्र से उसकी मुलाकर होती है। पहली ही मुलाकात में चन्द्र दिल हार बैठता है और अपने माता पिता को शादी के लिए मजबूर करता है। उधर रूपा का भाई ’मोती’ इस शादी के खिलाफ है परन्तु रूपा के आंसू उसे भी मजबूर कर देते हैं। भाई अपना मकान बेच कर बड़ी ठाठ से बहन की शादी करता है।
रूपा बहू बन कर शहर आती है। जो सुनहले सप्ने वह देख रही थी सब टूट जाते है। उसके दहेज की हंसी उडाई जाती है और उसके भाईयों को गालियां दी जाती है। मोती और गुलाब भी शहर चले आते हैं। रूपा दिल में हजारों दर्द लेकर भी चेहरे पर मुस्कराहट रखती है। चन्द्र भी रूपा की यह हालत देख कर बहुत परेशान है परन्तु उस का अपने माता पिता के आगे कोई वश नही चलता। रूपा को घर छोडने के लिए कहता है परन्तु रूपा दुनिया के तानों से इन जुल्मों को ज्यादा पसन्द करती है। आखर वह आप जी घर छोड़ कर चला जाता है। जुआ, शराब इत्यादि का शिकार बन जाता है।
आज भैया दूज है और सारा खेल ही बिगड़ा हुआ ह। रूपा के आंसू चन्द्र की दिवानगी-मोती और गुलाब की बेकारी यह गुथ्थी कैसे सुलझी आप रुपलरी परदे पर देखिए।
[From the official press booklet]