दिल को दिल से राह होती है। परंतू यह राह कभी कभी इतनी कठिन हो जाती है कि दिल से दिल बहुत दूर चले जाते हैं और जीवन एक दोराहे पर आकर रूक जाता है और यह निश्चय करना बहुत कठिन हो जाता है कि वह किधर जाये। कर्तव्य की ओर या प्रेम की ओर। आदर्श की ओर या प्यार की ओर। दिल एक ओर ख़ींचता है तो दिमाग दूसरी ओर। ऐसा समय हर आदमी के जीवन में एक बार अवश्य आता है।
"दोराहा" आपको देखना ही होगा इस लिये कि जीवन एक मार्ग ही तो है जिसपर चलने वाला हर राही एक न एक दिन हमारी कहानी के यात्रीयों की निसार इस दोराहे पर अवश्य पहोंचेगा। यही जीवन अपनी धारा बदलता है और एक ही मनज़िल को जानेवाले यात्री दो अलग अलग रास्तों पर चले जाते हैं। फिर क्या वह दो अलग अलग जानेवाले रास्ते कभी एक हुये हैं? कुछ लोग कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं हो सकता परंतू कुछ कहते हैं कि ऐसा हो सकता है। यह दोनों मार्ग मिल जाते हैं। वहां जहां यह धर्ती और आकाश एक दूसरे से गले मिलते हैं।
हमारी कहानी जीवन के इसी रूख पर रौशनी डालती है।
दोराहे को देखना अपने जीवन को समझना है।
(From the official press booklet)