सत्युग, त्रेता, द्वापरा और कलयुग में जब-जब भी इस पावन धरती पर अत्याचार और जुल्म बढ़ता है... उसे मिटाने के लिए जन्म लेता है ’धरती पुत्र’।
’धरती पुत्र’ एक ऐसी ही सामाजिक पारिवारिक और बिन्दा ठाकुर (टीनू वर्मा) के आतंक से आतंकित किशन गंज और उसके आस-पास के चालीस गांवों की दास्तां है।
ऐसे दहशत भरी ज़िन्दगी से मुक्ति दिलाने के लिए किशनगंज का ठाकुर रंजीत सिंह एक रिटायर्ड फौजी (ब्रिजेश तिवारी) के साथ मिलकर प्लान बनाता है... जिसकी सूचना मिलते ही बिन्दा ठाकुर मौत का ताण्डव गाँव में मचा देता है... फिर भी फ़ौजी हार नहीं मानता... उसे विश्वास रहता है कि इस विनाशक का विनाश करने वाला कोई ना कोई तो होगा और एक दिन उसे एक नौजवान सूरज (मनोज तिवारी ’मृदुल’) मिल जाता है जो जुल्म और अत्याचार को जड से मिटाने का ज़ज़्बा रखता है।
फ़ज़ी उसे गाँव लाता है जहाँ मोनू, पगली माँ की दास्ताँ सुनकर सूरज बिन्दा ठाकुर के खिलाफ जंग लड़ने का मन बना लेता है... और जब उसकी प्रेमिका सुनैना (लवी) के पिता को डाकू मार देते हैं तब सूरज बिन्दा ठाकुर के ख़िलाफ युद्ध का विगुल बजा देता है।
इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए सपरिवार देखें.... कपिशेक फ़िल्म्स् प्राईवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी मनोज तिवारी ’मृदुल’ और टीनू वर्मा अभिनीत एक यादगार फिल्म... ’धरती पुत्र’।
[from the official press booklet]