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यदा यदा हि धमस्य ग्लानिर्भत्रति भारत।
अभ्यूत्थानम्धर्मस्य तदाऽत्मानं सृजाम्यहम्।।
संसार में जब जब धर्म, न्याय और नीति का पतन हुआ तथा अधर्म, अन्याय और अनीति का बोलबाला हुआ तब तब भगवान महाविष्णु ने अवतार लेकर दुष्टों का संहार किया और दुःखी जनता के कष्ट दूर किए।
सृष्टि की उत्पत्ति करके भगवान ने मानव जैसा अद्भूत जीव उत्पन्न किया और उसे बुद्धि दी। मनुष्य ने अपनी बुद्धि के बल पर अनेक चमत्कारों को जन्म दिये। किन्तु कभी कभी अपने लक्ष्य को भुलाकर उसने सत्य और न्याय का त्याग कर, भोग-लालसा में पडकर अधर्म का सहारा लेकर अपने ही भाई-बंधुओं पर अत्याचार किया। इसीलिए भगवान विष्णु ने समय समय पर दस अवतार लिए और धरती माँ तथा उसके पुत्रों को शांति और सुख दिया। ’दशावतार’ की कथा पावन है, पवित्र है तथा ज्ञान और बोध देनेवाली है। यही कथा आप के सामने रूपहरी परदे पर प्रस्तुत है। देखिए “दशावतार”।
[from the official press booklet]