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इंसान ना तो जन्म से खराब पैदा होता है और ना ही अच्छा, संसार में जैसी परिस्थितियों से उसे गुजरना पड़ता है, परिस्थितियाँ उसे वैसा ही बना देती है।
बन्ता, बूटा और रामू तीन अच्छे आदमी थे लेकिन संसार ने उन्हें बुरा बनने पर मजबूर कर दिया।
बन्ता जिसने अपनी बहन के गहने एक सूधखोर सेठ के पास रखे हुए थे जब वापिस लेने गया तो उस सूधखोर ने गहने हड़प कर लिये। बन्ता अपनी बहन की आँखों में आँसू न देख सका और उसे सेठ के घर चोरी करनी पड़ी और पकड़ा गया।
बूटा जिसे शराब पीने की आदत पड़ चुकी थी नशे की हालत में अपनी सुधबुध खो बैठता है और अपनी पत्नी की हत्या कर देता है।
रामू एक गरीब परिवार का होने के कारण स्कूल में पढ़ने के लिये जब फीस न भर पाता तो स्कूल में दूसरे बच्चों की रिपोर्टों पर नकली दस्तखत करते-करते दूसरों के दस्तखत करने में निपुण हो जाता है और पकड़ा जाता है।
तीनों जेल में दोस्त बन जाते हैं और एक दिन मौका पाकर जेल से भाग निकलते हैं। पुलीस उनके पीछें है। वह बचने के लिये गाँव के एक दुकानदार शिवराज के घर पर जाते हैं। शिवराज उन्हें शरीफ आदमी समझकर अपने घर में पन्नाह देता है। लेकिन उन तीनों की कोशिश है कि कब मौका मिले तो वह घर की सफाई करके वहाँ से निकल जायें। लेकिन वह शिवराज के घर चोरी नहीं कर पाते। बल्की उनकी हर मुसीबत को अपने सिर पर ले लेते है और एक दिन फिर अपने आपको पुलिस के हवाले कर देते हैं।
यह सब कैसे हुआ यह जानने के लिये फिल्म “चंगे मंदे तेरे बन्दे” देखिये।
[from the official press booklet]