indian cinema heritage foundation

Bluff Master (1963)

Subscribe to read full article

This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.

Subscribe now

Not ready for a full subscription?

You can access this article for $2, and have it saved to your account for one year.

Pay Now
  • Release Date1963
  • GenreUrdu
  • FormatB-W
  • LanguageHindi
  • Run Time135 min
  • Length3916.02 meters
  • Number of Reels14 reels
  • Gauge35mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number73949
  • Certificate Date08/02/1974
  • Shooting LocationMumbai
Share
67 views

जिन्दगी में कभी-कभी ऐसे वाक्यात आते हैं कि इन्सान अपने पेट की आग बुझाने के लिए दूसरों से ब्लफ़ करने पर मजबूर हो जाता है। लेकिन उसे ये ख़बर नहीं होती है कि उसके साथ क़िस्मत भी ब्लफ़ कर रही है। “ब्लफ़ मास्टर” की कहानी अशोक नाम के एक ऐसे इन्सान से ताल्लुक रखती है।
अशोक बाम्बे में एक चाल के छोटे से रूम में रहता है। उसकी झूठी खुशामदी बातों से चाल के लोग बहुत खुश रहते हैं। ये कमजोरी अक्सर हर इन्सान में पाई जाती है। अशोक की बातचीत से लोग यही समझते हैं कि अशोक किसी अच्छे घर का लड़का है। लेकिन सचमुच वह क्या था यह उसका दिल ही जानता था। वह हमेशा इसी फ़िक्र में रहता कि उसे कहीं अच्छी नौकरी मिल जाये और वह एक सच्चे इन्सान की ज़िन्दगी बसर करे। लेकिन लाख हाथ पैर मारने पर भी उसे कहीं कामयाबी नहीं मिलती है।

एक दिन उसे भूकम्प वीकली में प्रेस रिपोर्टर की जगह मिलती है, लेकिन इस शर्त पर, अगर वह सनसनी खेज ख़बर लाये। अशोक बस स्टाॅप पर एक लड़की की जो एक आदमी को थप्पड़ मारती है फोटो लेता है। इस फोटो से उसकी नौकरी पक्की हो जाती है। वह अपनी माँ को ख़त लिखता है, माँ ख़त पाकर बहुत खुश होती है। प्रेस के मालिक अशोक को मुबारक बाद देने के लिये अपने घर बुलाते है। लेकिन अशोक की क़िस्मत ने उसके साथ ब्लफ़ किया और उसे खुशी के आसमान पर चढ़ाकर नाउम्म्ीदी की दरिया में गिरा दिया। जिस लड़की का उसने फोटो लिया था वह उसी प्रेस के मालिक की लड़की सीमा थी। अशोक के पहुँचते ही सीमा अपने चाचा के पास आती है और अशोक को देखकर बरस पड़ती है। उसे डाँट फटकार कर घर से निकाल देती है। लेकिन अशोक इससे हिम्मत नहीं हारता है। वह लेडीज क्लब के चेरिटी शो में पहुँचता है।

वहाँ सीमा मुन्नी बाई के न आने से परेशान थी। अशोक इस वक्त का फ़ायदा उठाता है और स्टेज पर खुद मुन्नी बाई बनकर आ जाता है। शो कामयाब होता है और अशोक सीमा की हमदर्दी हासिल करने में कामयाब होता है। सीमा की ये हमदर्दी प्यार में बदल जाती है लेकिन यह बात सीमा के चाचा के दोस्त कुमार को अच्छी नहीं लगती है। सीमा अशोक को अपने सालगिरह पर बुलाती है लेकिन अशोक वक्त पर नहीं आता है। इससे सीमा को बड़ी निराश होती है। अशोक रात को उससे मिलता है और सीमा से कहता है कि पिताजी के एकाएक आ जाने की वजह से वह वक्त पर न आ सका। सीमा अशोक के पिता को अपने घर पर ले आने के लिये कहती है। अशोक को अपने एक झूठ को छिपाने के लिये बहुत बड़ा झूठ का मुक़ाबला करना पड़ता है। वह खुद अपना बाप बनकर अपने दोस्त बाबू के साथ सीमा के घर आता है। लेकिन अशोक की क़िस्मत फिर उसके साथ टकराती है। कुमार अशोक की माँ को लेकर वहाँ पहुँचते हैं। अशोक का सारा राज खुल जाता है। उसकी माँ जो सच्चाई की देवी थी जिसके पास गाँव वाले अपने रुपये और जेवर रखकर बेफिक्र हो जाते थे उसका अपना बेटा इस क़दर निकला। उसके दिल को गहरा सदमा पहुँचता है। अशोक को अब महसूस होता है कि उसके झूठ का ज़हर कितना ख़तरनाक है। वह बेहोश माँ की क़दमों में पड़कर हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलने की क़सम खाता है। झूठी खुशामदें सुनने वाले चाल के लोग अपनी सच्ची तस्वीर जानकर यकीन नहीं करते हैं। उन्हें अशोक से नफ़रत होने लगती है। अशोक को अपना रूम छोड़ना पड़ता है। कुमार अशोक को सीमा के रास्ते से हटाने के लिये गुन्डा भेजता है, लेकिन अशोक बच जाता है और सीमा से इस साजिश के बारे में बताता है। सीमा को अपने चाचा का असली रूप मालूम पड़ता है। वह कुमार और अपने चाचा को टकरा देती है। कमार उसके चाचा को ख़त्म कर देता है लेकिन उसी वक्त उसे सीमा की होशियारी का अन्दाजा लग जाता है। और वह अशोक की माँ को अपनी कामयाबी का निशाना बनाता है।

अशोक की माँ का क्या हुआ?
क्या अशोक को सीमा का प्यार मिलता है?

यह सब जानने के लिए सुभाष पिक्चरस् का “ब्लफ़ मास्टर” देखिये।

[from the official press booklet]

Cast

Crew

Films by the same director