This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $3700/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.
“बाग़ी औरत” कहानी है गाँव के एक भोली भाली लड़की गंगा पर होने वाले जुल्म और जुल्म के ख़िलाफ बगावत की। मासूम गंगा जिसे इंसान की शक्ल में छुपे भेड़ियों की असलियत की ख़बर नहीं है। गाँव के बच्चों के साथ खेलती है। इंस्पेक्टर राजेश (कृष्ण) जो मन ही मन गंगा को चाहता है। जब अपनी मोहब्बत का इज़हार करने गंगा के पास आता है, तब गंगा का रिश्ता शहर के दिलावर (शिवा) से पक्का हो चुका होता है।
शादी के बाद दुल्हन बनकर गंगा शहर आती है शादी की रात अपने को सेठ रोशन लाल की सुहाग की सेज पर पाती है। सेठ रोशन लाल गंगा की इज़्ज़त से खिलवाड़ करता है। शहर में आते ही बेआबरु होने के बाद गंगा आत्महत्या करने जाती है। इंस्पेक्टर शर्मा (सौरभ) बहला फुसला कर शहर के नेता राम प्रसाद बिहारी (मोहन जोशी) के पास ले जाता है। गंगा की इज़्ज़त से खेल ने के बाद नेता के लोग गंगा को मरा हुआ समझ कर नदी में फेंक आते है।
फौजी अंकल (अर्जुन) गंगा को बचा लेता है। जुल्म और अत्याचार से लड़ने के लिए फौजी बनाता है गंगा को- “बाग़ी औरत”।
इंस्पेक्टर राजेश गंगा के प्यार को सिने में छुपाए सीमा नाम की एक दूसरी लड़की की मुहब्बत को कुबुल करने से इनकार करता है। गंगा औरतों की इज़्ज़त से खेलने वाले शैतानो को मौत के घाट उतारने की लड़ाई शुरु करती है। गंगा सुहाग रात मानने के शौकीन सेठ रोशन लाल की किसने शादी कराई है? नेता राम प्रसाद बिहारी और इंस्पेक्टर शर्मा का क्या हशर करती है? अपने पति को अपनी बराबरी की क्या सज़ा देती है- जानने के लिए देखिये एक मासूम लड़की के इन्तकाम की कहानी बाग़ी औरत।
[from the official booklet]