आवारापन कहानी है शिवम की... शिवम एक ऐसा नास्तिक इन्सान, जो ढूंढ रहा था सुख और जिंदगी की छोटी छोटी खुशियाँ... लेकिन जिसे मिला दर्द, अकेलापन, तनहाई...
ये शिवम के सफ़र की वो कहानी है जिससे वो भाग रहा था अपने अतीत से। एक ऐसा अतीत जिसकी परछाईयाँ आज भी उसे डराती है, और जिससे भागने की कोशिश में वो अपने मुल्क को छोड़कर हाँगकाँग के एक आलिशान होटेल में नौकरी करने लगा था भरत मलिक की...
शिवम मलिक का गुलाम बन गया, उसने मलिक की जी जान से सेवा की और उसके हर हुकुम को पूरा किया... और एक दिन वो आया जब इस गुलाम को मलिक ने अपनी रखेल रीमा पे नज़र रखने की जिम्मेदारी दी। रीमा एक ऐसी बेबस पाकिस्तानी लड़की जो बँन्कोक के बाज़ारों में बिक रही थी और जिसे मलिक खरीद कर अपने घर ले आया था अपने दिल को बेहलाने के लिए।
मलिक को शक था कि रीमा उसके अलावा किसी और से भी प्यार करती थी इसलिये उसने शिवम को ये हुकुम दिया के अगर ये बात सच है तो उसे मार दे। क्या शिवम मलिक के हुकुम को मानेगा या उसके कहर का सामना करेगा? क्या वो अपने अजीत की जंजीरो से बंधा रहेगा या अपनी नास्तिकता की जंजीरो को तोड़कर अपने इन्सानी फ़र्ज को पूरा करेगा? ये सारे सवाल इस कहानी की दिल की धड़कन है।
(From the official press booklet)