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Madhubala (1950)

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मधुबाला एक लड़की थी- उस समाज की लड़की जहां संसार की हर वस्तु रुपयों के तराजू में तौली जाती है। उसे पैतृक - सम्पत्ति में धन, दौलत, बंग्ले, मोटरें अर्थात् भोग-विलास की सब सामग्री मिली थी और उनके साथ मिली थी दिल की बीमारी जो उसके कुटुम्ब में बहुत पुरानी थी। मधु के यहां रात दिन मित्रों की भाीड़ लगी रहती खास कर कालीचरण और रणधीर। इस जीवन से मधु का स्वास्थ्य बिगड़ता गया। हवा बदलने के लिये डाक्टरों ने उसे गांव भेज दिया।

गांव में मधु की भेंट अशोक नामी एक पढ़े लिखे देहाती से हुई। अशोक के सादे जीवन और उच्च विचारों का मधु पे बहुत प्रभाव पड़ा। दोनों एक दूसरे के नजदीक आते गए, शादी की तारीख पक्की हो गई।

इसी समय कालीचरण, रणधीर और दूसरे साथी गांव आ पहुंचे। मधु और अशोक की शादी की खबर उनकी निगाहों में खटकने लगी। देह की आग फैलाई गई। प्रेमी बदगुमान हो गए।

मधु की हालत बिगड़ती गई। डाक्टरों की निगाह में वह कुछ ही महीनों की मेहमान थी। उधर अशोक भी मधु की याद में घुलता रहा। आखिर बेचैनी.....। अशोक क्रोध से पागल हो गया और इसी दीवानगी की हालत में गिरफ़तार हो गया। मधु ने जुर्माना भरके उसे छुड़ा दिया। परन्तु..... अशोक मधु का उधार चुकाने के लिये थियेटर में नौकरी कर ली।

रणधीर को जब मधु की अनमोल कुर्बानी का पता चला तो अशोक से मिलने थियेटर पहुंचा। कालीचरण ने उनकी भेंट से पहले ही थियेटर में आग लगवा दी। इस दुर्घटना में अशोक की आंख जाती रहीं।

मधु अपना नाम शीला रख कर अशोक के यहां नौकर हो गई। रात दिन उसकी सेवा करती। उसे एक ही लगन थी.... आखिर एक तररीब निकाली। अशोक को थियेटर में काम करने पर मजबूर किया ताकि उसके इलाज के लिये रुपये इकट्ठा हो जाए तरकीब कामयाब रही - अशोक की आंखें ठीक हो गई इसके अलावा परदे पर देखिये।

(From the official press booklet)

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