सिन्दबाद कहानिओं की तारीख का वह हीरो है जिसे कोई भी नहीं भूला सकता। उस ने सात सफर किये और हर सफर एक अजीब करानामा बन कर रह गया। क्यों कि सफर के आगाज़ ही से “जहाज़ी लूटेरा” सिन्दबाद के जहाज़ में उसे साथ सफर कर रहा था।
“जहाज़ी लूटेरा” मौके की ताक में था। आखिर एक दिन उस ने सिन्दबाद को बांध कर दरिया में डाल दिया ताके सिन्दबाद दरियाई जानवरों की खूराक बन जाये मगर खूदा की कुदरत से सिन्दबाद बच निकला। मगर दूसरी मुसीबत सामने खड़ी हंस रही थी। जंगली आदमिओं ने सिन्दबाद को गिरफ़्तार कर लिया और जंगली बादशाह की लड़की से उसे शादी करनी पड़ी और फिर जब वहां से भागा तो-खजूर से गिरे बबूल में अटके-वाली मिसाल हो गई। सिन्दबाद जंगलीओं से बचकर भागा तो शहर संगदिल की मलिका वरजीना की हवस ने सिन्दबाद को निशाना बनाना चाहा। मगर सिन्दबाद कि खुदा परस्ती यहां भी काम आई और मलिका की छोटी बहन ज़रीना मोहब्बत कि दीवार बन कर मलिका की हवस के सामने खड़ी हो गई। मुकाबला बड़ा सख़्त हुआ मगर सिन्दबाद ज़रीना, भीमपलासी और नग़मा यहाँ से निकल गये और जंगल जंगल ख़ाक छानने लगे। आखिर कुदरत को रहम आ गया और एक पत्थर में से जिन नमुदार हुआ। जिन ने सिन्दबाद ज़रीना, भीमपलासी और नग़मा को उड़ाकर एक जहाज़ पर पहुंचा दिया।
मगर हाय रे किस्मत इस जहाज़ में वही “जहाज़ी लूटेरा” था। फिर क्या हुआ? सिन्दबाद, जरीना, भीमपलासी और नग़मा पर क्या गुज़री? सिन्दबाद किन किन मुसीबतों में गिरफ़्तार हुआ और कैसे निकला-ये पर्दे रेसीमी पर देखिये।
[From the official press booklet]