आदमी भले ही किसी भी धर्म या ज़ात का मानने वाला क्यों पना हो, पहली ज़रूरत इस बात कि वो एक अच्छा इंसान हो, उसमें इन्सानियत हो, अमज़द (अक्षय कुमार), अजीत राठौर (अजय देवगन) और अविनाश कपूर (तुषार कपूर) इन्सानियत का प्रतीक है और इन्सानियत ही उनका धर्म है।
अमज़द ज़िन्दा दिल तो है और अपना दिल दे चुका है। हिना (ईशा देवल) को, मगर फिर भी अपने भाई अज़हर (राहुल देव) के अचानक लापता हो जाने का दर्द भी उसके दिल में समाया हुआ है। अजीत राठौर एक ऐसा जांबाज़ पुलिस आफिसर है, जिसने अपनी जान से ज़यादा प्यारी पत्नी सोनाली (कोयना मित्रा) को फर्ज़ के रास्ते में खो दिया, उसके दिल का दर्द बांटने की कोशिश करती है मेघना (लारा दत्ता)...
दूसरी ओर अविनाश कपूर है, जो एक फिल्म स्टार बनने का सपना सजाए मुंबई आया हुआ है और ऐसा ही एक सपना सजाए अपनी एक मजबूरी के हाथों मजबूर हो कर इंदू (लैला) आई हुई है... दोनों की मंज़िल एक है... और वो प्यार की राज पर एक साथ चल पड़ते हैं... और उस रास्ते में एक ऐसा मोड़ आता है कि जहां उनकी दुनिया ही बदल जाती है...
और एक मोड़ ऐसा भी आता है कि जहां अमज़द को उसका खोया भाई मिल जाता है।
अब ऐसे वक़्त में जज़्बात में... दोस्ती, दुश्मनी में.... और प्यार, नफ़रत में बदल जाते हैं...
अमज़द की नफ़रत और अजीत राठौर के .... ने किस तूफान को जन्म दिया...?
क्या अब भी उन्होंने इन्सानियत का प्रतीक रह कर "इन्सान" होने का हक़ अदा किया...?
जानने के लिए देखिये "इन्सान"।
(From the official press booklet)