जादुगर वैताल को बरसों से अमर होने की तमन्ना थी, मगर उसके गुरु के कहने के मुताबिक जब तक वुह सोलह कला समपूर्ण सुन्दरी से विवाह न करले, उसकी यह आशा पुरी न हो सकती थी, और वुह एक मुद्धत से किसी एैसी सुन्दरी की तलाश में था, जो सोलह कला सम्पूर्ण हो।
चम्पाकली नदी की तह के अन्दर बसने वाले एक टापु की रानी की छोटी बहन थी, जो के सोलह कला सम्पुर्ण थी। चम्पाकली की बहन भी एक इनसान की शकल वाले जानवर के बस में थी, चम्पाकली को नदी के उपर जाने की हरगिज़ इजाज़त न थी, मगर चम्पाकली अपनी इस तमन्ना को ज्यादा दिनों तक रोक न सकी, वुह एक दिन नदी की सतह पर आगई। मौसम को देखकर उसने एक मतवाला गीत छेड दिया। उस गीत से परभावित हुआ - राजकुमार कुमार... कुमार जो इस नदी का भेद जानने के लिये निकला था। उसने सुना था। जो भी इस नदी पर आकर संगीत सुनता है संगीत की लहरे उसे नदी के अन्दर घसीट करले जाती हैं। और फिर वुह दोबारा वापिस नहीं लोटता - चम्पाकली ने राजकुमार को देखा और कुमार ने चम्पाकली को दोनों ने एक दुसरे को दिल दे दिया। मगर उसी समय वैताल वहाँ आ पहुँचा और चम्पाकली को उठाकर आकाश पर ले उडा, कुमार जो चम्पाकली के प्रेम का शिकार हो चुका था अब चम्पाकली की तलाश में भटकने लगा। रास्ते में उसे दो साथी मिली जिन के पास एक साधु की दी हुई जादु की पुतली थी। जादु की पुतली ने कुमार को एक फुल दिया, जिसपर वैताल का जादु असर न कर सकता था। कुमार वैताल की गुफ़ा के अन्दर पहुँचा, मगर वैताल के गुरु ने कुमार के आने का राज़ वैताल पर ज़ाहीर कर दिया। वैताल किसी भी तरह अमर होने के लिये चम्पाकली से ज़र्बदस्ती शादी करना चाहता था और कुमार वैताल के पन्जे से चम्पाकली को छुडाना चाहता था। इस इम्तेहान में कुमार को हज़ारों मुसीबतों से गुज़रना पडा। वैताल के जादु से टक्कर लेनी पड़ी और आख़िर में जब वुह चम्पाकली को पाने ही वाला था के वैताल उसके गुरु के बनाये हुये हवामहल में चम्पाकली को ले उडा। कुमार ने यहाँ भी उसकी पीछा न छोडा। वैताल गुरु के कहने पर चम्पाकली को जवालामुखी में फैंकने ही वाला था के कुमार आ पहुँचा और इस तरह वैताल और कुमार को चम्पाकली के लिये आख़री मुकाबला शुरु हुआ। जीता कौन? यह तो आपको “हवा महल” देखने पर ही पता चल सकेगा।
(From the official press booklet)