गौरी पुर गांव में घनशाम शहर से खूब रूपये कमाकर आया, साथ उसका लड़का कुमार भी था। कई बरस पहिले घनशाम गाँव का एक गरीब दुकानदार था। तब उसने कुमार की सगाई राधा नामी लड़की से कर दी थी। कुमार और राधा गाँव में एक दूसरे से मिले।
मोहबत की चिंगारी दो दिलों में सुलगी मगर घनशाम दोनों के दरम्यान दिवार बनकर खड़ा हो गया। उसका लड़का एक गरीब घर में वियाहा जाये, यह उसे मंजूर न था। गाँवूका साहूकार भी अपनी बेटी बसंती का रिश्ता लेकर आया जहेज का लालच दिया। बसंती की सगाई पहले मोहन से हो चुकी थी। जो गाँव के एक दूसरे रअीस ठाकुर का बेटा था। मगर बाप के मरते ही मोहन ने तमाम जायदाद शहर की एक रक्कासा चाँदनी की नज़र कर दी। घनशाम कुमार को शहर वापस ले आया। कुमार हर वक्त गमगीन रहने लगा। उसका दोस्त वनवारी उसे चाँदनी रक्कासा के मकान पर ले गया।
चाँदनी ने नया शिकार फांसा तो मोहन को बहुत बुरा लगा। वह कब बरदास्त कर सकता था कि चाँदनी किसी और के पेहलू की झीनत बने। कुमार ने चाँदनी को हीरे के बुंदे बनवाकर दिये। एक दिन मोहन और कुमार में झगड़ा हो गया। चाँदनी ने मोहन को बेईझ्झत करके घर से बाहर निकाल दिया। मोहन गाँव लौटा। राखी को तेव्हार मनाया जा रहा था। बहिने भाईयों को रखियां बांद रही थी।
मगर राधा बेचारी आँसू में आँसू और हाथ में रखियाँ लिये अकेली खड़ी थी। उसका भाई बचपन ही में मर चुका था। माँ ने होसला दिया कि तुम भी किसी को रखियां बांधकर शुगन मनाले उस वक्त मोहन वहां से गुजर रहा था।
राधा ने पुकारा भय्या। मोहन ने मुड़कर देखा आगे बढ़ा और राधा ने रक्शा बंधन में जकड़ लिया। अब मोहन के जींदगी में एक ईनकलाब आया जो ईनकेलाब क्या था? मोहन ने अपनी मुंह बोली बहन राधा के लिये क्या किया? कुमार का क्या हुआ क्या राधा और कुमार फिर मिले या नहीं?
इसका जवाब सिनेमा के परदे पर देखिये।
(From the official press booklet)